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दिल्ली गैंगरेप: नाबालिग आरोपी की उम्र पर फैसला आज


नई दिल्‍ली : राष्‍ट्रीय राजधानी में बीते दिसंबर में माह में हुए दिल्ली गैंगरेप मामले के छठे आरोपी की उम्र को लेकर अभी भी उलझन बना हुआ है, जबकि इसी ने पीडि़ता के साथ सबसे ज्‍यादा बर्बरता की थी। दिल्ली के जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड में सोमवार को यह फैसला होगा कि इस गैंगरेप केस में छठे नाबालिग आरोपी का स्कूल सर्टिफिकेट सही है या नहीं। उसके नाबालिग होने की प्रमाणिकता पर आज मजिस्‍ट्रेट फैसला करेंगे। 

वहीं, इस मामले में फास्ट ट्रैक कोर्ट में बचाव पक्ष के वकील आज आरोपों के तय होने के मामले पर बहस करेंगे। आरोपियों पर आरोप तय होते ही ट्रायल शुरू हो जाएगा।

यदि छठे आरोपी का स्कूल प्रमाण पत्र सही नहीं पाया गया तो आरोपी की उम्र का पता लगाने के लिए बोन टेस्ट की इजाजत दी जा सकती है। छठे आरोपी की उम्र को लेकर इस केस में शुरू से पेंच फंस रहा है। गौर हो कि आरोपी के स्कूल प्रिंसिपल ने जो सर्टिफिकेट प्रस्‍तुत किया है, उसके मुताबिक आरोपी की उम्र 17 साल और 6 महीने है। वहीं, दिल्ली पुलिस का मानना है कि आरोपी का बोन टेस्ट कर उसकी उम्र का पता लगाया जाए। 

इससे पहले, किशोर न्याय बोर्ड ने जनता पार्टी के अध्यक्ष सुब्रमण्यम स्वामी की वह अर्जी खारिज कर दी, जिसमें उन्होंने मांग की थी कि 16 दिसंबर को दिल्ली में हुए सामूहिक बलात्कार कांड के छठे नाबालिग आरोपी पर बाकी पांच बालिग आरोपियों के साथ ही मुकदमा चलाया जाए। प्रधान मजिस्ट्रेट गीतांजलि गोयल की अध्यक्षता वाले बोर्ड ने स्वामी की अर्जी खारिज कर दी ।

स्वामी ने रविवार को दिल्ली हाईकोर्ट में अर्जी दायर कर मांग की थी कि मामले के बाकी आरोपियों के साथ ही किशोर आरोपी के खिलाफ भी मुकदमा चलाया जाए क्योंकि यदि ऐसा नहीं हुआ तो यह नाबालिगों को ‘बेवजह’ मुकदमे से छूट देना होगा। उच्च न्यायालय ने यह कहते हुए स्वामी की याचिका का निपटारा कर दिया था कि इस चरण में इस जनहित याचिका पर सुनवाई की कोई वजह नहीं है। 

हालांकि, न्यायालय ने स्वामी से कहा था कि यदि इस मुद्दे पर किशोर न्याय बोर्ड उनकी याचिका को इजाजत न दे तो वह सत्र अदालत की शरण ले सकते हैं। वारदात की शिकार हुई लड़की के परिजन आरोपी को कम सजा के लिए तैयार नहीं हैं और उन्होंने सरकार से कानून में बदलाव की मांग दोहराई है। 

गौर हो कि 16 दिसंबर को दिल्ली में एक बस में दरिंदगी का शिकार हुई लड़की के दादा ने कहा था कि परिवार यह कभी स्वीकार नहीं करेगा कि उनके पौत्री के साथ हुई हरकत के सबसे बड़े गुनाहगार को सिर्फ नाबालिग होने के आधार पर महज तीन साल कैद की सजा हो। उन्होंने मांग की है कि नाबालिग कहे जा रहे आरोपी को भी फांसी की सजा होनी चाहिए और परिजन इसके लिए कानून में जल्द से जल्द संशोधन की फिर से मांग करते हैं। 

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