" "

भ्रष्टाचार के खिलाफ भारत समर्थक

आसाराम बापू ने फिर दिया विवादित बयान


नई दिल्ली। जाने-माने संत आसाराम बापू ने दिल्ली गैंगरेप पर बेशर्म बयान तो दिया ही, इस पर विवाद होने के बाद जो सफाई पेश की वह भी उतनी ही आपत्तिजनक है। आसाराम ने दिल्ली गैंग रेप के लिए रेपिस्टों के साथ-साथ रेप विक्टिम को भी बराबर का जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने एक कार्यक्रम में कहा कि ताली एक हाथ से नहीं बजती, दोनों हाथों से बजती है। उन्होंने कहा कि रेप के लिए लड़की भी दोषी है। वह चाहती तो आरोपियों को भाई कहकर, उनके हाथ-पैर जोड़ सकती थी, जिससे वह बच जाती। लेकिन, उसने ऐसा नहीं किया।

दिलचस्प बात यह कि इस बयान पर बवाल होने के बाद आसाराम बापू ने सफाई दी। इस सफाई में पहले बयान के लिए माफी मांगना तो दूर उन्होंने उस सही साबित करने की कोशिश की और इस क्रम में फिर महिला विरोधी बयान दे दिया। उन्होंने कहा कि इस मामले में मते हंगामे को देखते हुए कड़े कानून की बात की जा रही है, लेकिन यह कोई नहीं कह रहा कि महिलाएं उस कानून का दुरुपयोग कर सकती हैं।

हालांकि, उनका दावा है कि उन्होंने घटना की निंदा की है। उन्होंने रेप विक्टिम के परिवार को अपना संदेश भी भेजा है कि दुख के इस घड़ी में वह उनके साथ हैं। साथ ही आसाराम ने रेपिस्टों के लिए तैयार किए जाने वाले कड़े कानून का भी कड़ा विरोध किया है। उनके मुताबिक, कानूनों का सिर्फ दुरुपयोग होगा, असली दोषी बच जाएंगे। अगर ऐसा (कड़ा कानून बन जाता है) होता है तो यह पुरुषों के साथ पूरे समाज के लिए गलत होगा, क्योंकि रोएगी तो कोई मां-बहन ही।

आसाराम के बयान की चौतरफा निंदा हो रही है। बीजेपी समेत कई सियासी दलों के नेताओं ने उनकी निंदा की है। राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष ममता शर्मा ने भी आसाराम के बयान की निंदा की है। उन्होंने कहा कि आसाराम जी बड़े संत है, ऐसे बयान देने से बचना चाहिए। उन्होंने कहा कि 6 दरिंदों के सामने वह क्या मांफी मांगती? क्या भाई बनाती? अगर वह ऐसा करती तो भी इस बात की क्या गारंटी कि दरिंदे उसे छोड़े देते। ममता शर्मा ने कहा कि साधु-संतों को महिलाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखकर बयान देना चाहिए। ऐसे बयान रेपिस्टों के मनोबल को बढ़ाने वाला साबित हो सकते हैं।

" "