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मुझे बदनाम कर रही है मीडिया: आसाराम बापू


नई दिल्ली। दिल्ली गैंगरेप पर विवादास्पद बयानों की चौतरफा हो रही निंदा के बीच आसाराम बापू ने कहा है कि उन्हें मीडिया बदनाम करने के लिए अभियान चला रही है। इस बीच, एक ओर जहां आसाराम के बयान को श्रीश्री रविशंकर ने खारिज कर दिया है, वहीं कांग्रेस और भाजपा ने बयान को निंदनीय बताया है।

भाजपा प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद ने कहा, बापू आध्यामिक गुरु हैं पर उनका बयान खेदजनक व तकलीफदेह है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि उन्होंने उस मुद्दे पर टिप्पणी की, जिस पर देश उबल रहा है। दुष्कर्म पीड़िता के मित्र और एकमात्र प्रत्यक्षदर्शी ने कहा, ऐसी ओछी टिप्पणी पर बापू को दंड मिलना चाहिए। अहमदाबाद में आसाराम के खिलाफ भारतीय सामाजिक सेना नामक संगठन ने प्रदर्शन किया। संगठन अध्यक्ष संजय गढ़वी ने कहा, आसाराम देश की महिलाओं से माफी मांगें और अपने शब्द वापस लें। बवाल बढ़ते देख आसाराम ने कहा,उनका आशय सिर्फ इतना था कि अगर आरोपियों को पहले दीक्षा मिलती तो वे ऐसी हरकत नहीं करते। आश्रम की जनसंपर्क अधिकारी नीलम दूबे ने कहा,बापू ने 28 दिसंबर को दिल्ली के सत्संग में इस घटना पर चर्चा की थी। उनके बयान को तोड़-मरोड़कर दिखाया गया है। ऐसे संवेदनशील मुद्दे पर भी मीडिया गंभीर न होकर सिर्फ लाभ के लिए बापू की पुरानी चर्चा को ऐसे पेश कर रहा है, जिससे पीड़िता को न्याय दिलाने की लड़ाई कमजोर पड़ सकती है।

कांग्रेस के नेता राशिद अल्वी ने नसीहत दी है कि धर्मगुरुओं को सोच-विचार कर कोई बयान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस दरिंदगी को किसी भी हालत में हल्के में नहीं लिया जा सकता है। अल्वी ने कहा कि धर्मगुरु और नेताओं को कुछ भी बोलने से पहले सोचना चाहिए।

इस बीच, राष्ट्रीय महिला आयोग ने बयान को भड़काऊ बताते हुए अपील की है कि ऐसे बयान न दिए जाएं। आयोग की अध्यक्ष ममता शर्मा ने कहा कि इस तरह की जो भड़काऊ बातें की हैं वह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि साधू-संतों को पता है कि हमारे देश में महिलाओं को इज्जत और सम्मान दिया जाता है। ऐसे में आसाराम क्या संदेश देना चाहते हैं। मैं प्रार्थना करती हूं कि इस तरह के बयान न दें जिससे पूरी स्त्री जाति का अपमान होता हो।

गौरतलब है कि नई दिल्ली में गत दिनों समागम में आसाराम बापू ने कहा, युवती को आरोपियों से कहना चाहिए था कि मैं मजबूर हूं और आप लोग मेरे धर्म भाई हैं। गलती एक तरफ से नहीं होती है। अगर युवती धार्मिक प्रवृत्ति की होती तो वह उस बस में चढ़ती ही नहीं। सोमवार को फरीदाबाद में कहा, इस घटना के बाद पुरुषों के खिलाफ अभियान चल पड़ा है। उन्होंने महिलाओं के खिलाफ अपराध से जुड़े किसी नए कानून के दुरुपयोग की आशंका भी जताई। उन्होंने दहेज रोधी कानून और एससी-एसटी एक्ट के गलत इस्तेमाल का दावा किया।

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