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भ्रष्टाचार के खिलाफ भारत समर्थक

गैंगरेप के खिलाफ 9 दिन सेअनशन पर बैठे लोग


नई दिल्ली। देश की बेटी की को इंसाफ दिलाने के लिए 15 दिनों से प्रदर्शन और आंदोलन का दौर जारी है। दिल्ली के जंतर-मंतर पर भी एक आंदोलन चल रहा है। बलात्कारियों को फांसी की मांग को लेकर दो शख्स भूख हड़ताल पर बैठे हैं। इनमें से एक 9 दिनों से अनशन पर है और उसकी हालत लगातार बिगड़ रही है लेकिन सरकार इनकी सुध नहीं ले रही।

दरअसल नौ दिन गुजर चुके हैं। दिल्ली के जंतर-मंतर पर आमरण अनशन कर रहे राजेश गंगवार की हालत अब बिगड़ने लगी है। भूख और प्यास का असर दिखने लगा है। जिस्म जवाब देने लगा है लेकिन जज्बा लाजवाब है। बरेली का ये बेटा हिंदुस्तान की तमाम बेटियों के हक की लड़ाई लड़ रहा है। इस बेटे को सरकार से सुरक्षा चाहिए। वो कानून चाहिए जो देश की बहन-बेटियों की आबरू की रक्षा की गारंटी दे सके। ये जंग अब रंग ला रही है। इनके इस संघर्ष को सलाम करने लोग बड़ी तादाद में जतंर-मंतर पहुंच रहे हैं। बढ़ते जनसमर्थन ने इनके हौसले को और ताकत दी है। इरादा पहले से और बुलंद हो गया है। भले जान चली जाए मगर अपनी मांग से ये टस से मस होने को तैयार नहीं।

यूपी से आए ये दो आंदोलनकारी सरकार को लगातार झकझोर रहे हैं। अनशन के जरिए ये सरकार को उसका फर्ज और जनता के हक की याद दिला रहे हैं। बलात्कारियों के खिलाफ सख्त कानून बने, इसके लिए इन दोनों ने अपनी जान दांव पर लगा दी है। लेकिन लगता है सरकार के कानों तक इनकी आवाज पहुंच नहीं पा रही। नौ दिन बाद भी सरकार असंवेदनशीलता की मोटी चादर तानकर सो रही है। सवाल ये है कि अब तक केंद्र सरकार चुप क्यों है?

ये माना कि कानूनी प्रावधान की प्रक्रिया आसान नहीं। इसमें वक्त लगना लाजिमी है। लेकिन क्या सरकार को इनसे बात करने में भी संकोच हो रहा है। क्या सरकार इन्हें भरोसा देने की जहमत भी नहीं उठाना चाहती। कहीं सरकार इसलिए तो बेफिक्र नहीं क्योंकि ये आम लोग हैं और इनके साथ किसी सियासी पार्टी या किसी सामाजिक संगठन के समर्थन की ताकत नहीं।

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