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भ्रष्टाचार के खिलाफ भारत समर्थक

दल्ला भ्रष्ट मीडिया

आपने अक्सर नोट किया होगा कि 1984 के सिख विरोधी हिंसा को "दल्ला मीडिया" "सिख विरोधी दंगा" कहता है, जबकि गुजरात में 2002 के दंगों को "गुजरात नरसंहार" कहा जाता है…

सरकारी आँकड़ों के अनुसार दिल्ली में 1984 में 3000 से अधिक सिख मारे गए, जबकि "अन्य" के मारे जाने का कोई विशेष आँकड़ा उपलब्ध नहीं है…

दूसरी तरफ़ 2002 की गुजरात हिंसा में लगभग 400 मुसलमान और 150 हिन्दू मारे गए, जिसमें से बड़ी संख्या पुलिस की गोली से मरने वालों की भी थी…

कश्मीर में 50,000 से अधिक मारे गए और 3 लाख से अधिक भगाए गए हिन्दुओं की किसी गिनती में ही नहीं हैं, न "दंगों" में और न ही "नरसंहार" में…

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इसका अर्थ है कि मीडिया में इतने "अनपढ़" बैठे हैं जिन्हें हिंसा, दंगा और नरसंहार में अन्तर भी नहीं पता???
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