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कोंग्रेसीओ ने तिरंगे के टुकड़े टुकड़े कर तिरंगे का किया घोर अपमान !!!!

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कोंग्रेसीओ !!!! ने तिरंगे के टुकड़े टुकड़े कर तिरंगे का किया घोर अपमान !!!! घोर अपमान !!!!
क्या कॉंग्रेस एक मनोरंजन पार्टी है?? पड़े ये लेख




कांग्रेसियों ने इस देश की स्वतन्त्रता के लिए लड़ाई लड़ी है इस बात को आज के कांग्रेसी बोलते नहीं थकते ....लेकिन इस कथन में कितनी सच्चाई है इसकी गहराई में जाए तो नतीजा सिफर ही आएगा ...कांग्रेस के संस्थापक कोई भारतीय नहीं बल्कि एक विदेशी थे जिनका नाम था ..ऐ.ओ.ह्युम और क्या कोई विदेशी भला दुसरे देश की स्वतन्त्रता के लिए कोई पार्टी बनाएगा क्या... कांग्रेस पार्टी एक मनोरंजक पार्टी के रूप में बनी थी जिसमे मोतीलाल जैसे धनाड्य अपने मनोरंजन के लिए मिलते जुलते थे और कांग्रेस पार्टी के किसी भी बड़े लीडर से कभी भी अंग्रेजो को कोई भी खतरा नहीं था इसलिए कांग्रेस में रहने वाले नेताओ को कभी न काला पानी की सजा मिली और न ही फासी....अंग्रेजो के कोप के भाजन बने लाला लाजपत राय,चन्द्रशेखर आजाद,भगत सिंह,सुभाष चन्द्र बोस,सुखदेव,राजगुरु,और इसी तरह के कई अनाम स्वतन्त्रता सेनानी जो या तो कभी कांग्रेसी थे ही नहीं और थे तो उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी थी....देश के बटवारे के सूत्रधार कौन थे यह सभी जानते है...सिर्फ और सिर्फ पंडित नेहरु को प्रधानमन्त्री बनाने के लिए महात्मा गाँधी देश के बटवारे के लिए तैयार हो गये...यह भी कटु सत्य है की आजादी के बाद जिन आधारों पर देश का बटवारा हुआ उसके विपरीत कांग्रेस की निति के फलस्वरूप ही आज देश में कई राज्यों में जातीय संघर्ष की स्थिति बनी हुई है ....नेहरु की नीतियों के फलस्वरूप आज कश्मीर देश से अलग थलग अलगाव वादियों के हाथो जल रहा है ....देश में आजादी के नायक सुभाष चन्द्र बोस जो अंग्रेजो के समय सुरक्षित थे लेकिन कांग्रेसी राज्य में गायब कर दिए गये क्या इस बात का कोई भी जवाब है कांग्रेसियो के पास की कहा गये सुभाष बाबु ....गाँधी और नेहरु के लिए सबसे बड़ा रोड़ा सुभाष बाबु ही थे....भगत सिंह की फांसी को गाँधी जी टाल सकते थे गाँधी इरविन समझौते के समय सुभाष बाबु ने गाँधी जी से अनुरोध भी किया था लेकिन गाँधी जी सहमत नहीं हुए ....इंदिरा गाँधी इस देश में हिटलर शाही की सबसे बड़ी प्रतीक के रूप में उभरी जिन्होंने देश में आपात काल लगाकर और मिडिया तथा कोर्ट पर भी पाबंदी लगा कर देश में हिटलर राज की यादे ताजा कर दी थी...राजीव गांधी ने देश में 1984 में अब तक का सबसे बड़ा राजनयिक कत्लेआम करवाया था अपनी माँ की मौत का बदला उन्होंने लिया था उस समय उनके इशारे पर किये कत्लेआम पर उनका बयान था की जब भी कोई बड़ा वृक्ष गिरता है तो धरती में कम्पन होती है...फिर न. आया सोनिया गाँधी का जिनकी कार्यप्रणाली आप सभी के सामने है...इतने सब के बाद फिर भी कांग्रेस कहती है की.....अब इस पर क्या कहे की वे झूट कहती है... -Uday Kumar, Teerath Singh,
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