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भ्रष्टाचार के खिलाफ भारत समर्थक

लोग मुझे मरने नहीं देंगेः अन्ना

रविवार सुबह एक बार फिर भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना की जंग ने रंग पकड़ लिया. अन्ना की टीम तो पहले से ही भूख हड़ताल पर थी, रविवार सुबह अन्ना ने भी आमरण अनशन शुरू कर दिया. संसद में अटके पड़े कानून को जल्द लागू करने की मांग.

केंद्र सरकार को चार दिन पहले ही चेतावनी दे दी गई थी, लेकिन जब कोई जवाब नहीं आया तो अन्ना ने खराब स्वास्थ्य के बावजूद अपने समर्थकों की मांग ठुकरा दी और उनके साथ भूख हड़ताल पर बैठ गए. टीम अन्ना के सदस्य और ज्यादा समर्थक चार दिन पहले से ही भूख हड़ताल पर बैठे हैं. अन्ना हजारे ने भूख हड़ताल पर बैठने के साथ ही कहा कि लोग उनके साथ हैं. मशहूर समाजसेवी अन्ना हजारे ने कहा, "मुझे यकीन है कि मेरे देश के लोग मुझे मरने नहीं देंगे. मुझे आप लोगों से ताकत और विश्वास मिला है."

अन्ना अपने टीम के साथियों के साथ पहले से ही धरने पर बैठे हुए हैं. उनके टीम के सदस्यों में अरविंद केजरीवाल और दो दूसरे लोग चार दिन से भूख हड़ताल कर रहे हैं. अरविंद केजरीवाल ने अन्ना को स्वास्थ्य कारणों का हवाला दे कर उपवास न करने की अपील की थी, लेकिन अन्ना ने इसे अब मानने से इनकार कर दिया है. अन्ना ने कहा है, "जब 400 से ज्यादा लोग भूख हड़ताल कर रहे हैं, तो मैं कैसे उनकी अनदेखी कर उपवास किए बिना रह सकता हूं. कल उन्होंने फिर मुझसे कहा कि मैं ऐसा नहीं करूं, लेकिन मैं इसी वक्त से उपवास शुरू कर रहा हूं. मैं मानता हूं को मुझे आप लोगों की मंजूरी मिल गई है."

अन्ना हजारे औऱ उनकी टीम चाहती है कई महीनों से संसद में अटके पड़े भ्रष्टाचार निरोधक कानून को सख्त बनाया जाए. इसके साथ ही प्रधानमंत्री समेत 15 वरिष्ठ मंत्रियों के खिलाफ जांच के लिए एक अलग से टीम बनाई जाए.
रविवार को जंतर मंतर पर अन्ना के पहुंचने से पहले ही बड़ी संख्या में उनके समर्थकों का जमावड़ा लग गया. पिछले साल अप्रैल के बाद से चौथी बार अन्ना भूख हड़ताल पर बैठे हैं.अन्ना ने देश की मौजूदा स्थिति के लिए सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी और विपक्षी बीजेपी दोनों को समान रूप से दोषी माना है. अन्ना ने कहा है कि वह अगले आम चुनाव में देश के लोगों को एक राजनीतिक विकल्प देंगे. अन्ना के मुताबिक वह साफ छवि वाले लोगों को संसद में भेजने के लिए अभियान चलाएंगे और उनके समर्थन में प्रचार करेंगे.

अन्ना के आंदोलन को वैसे तो पूरे देश में समर्थन मिल रहा है, हालांकि कहीं कहीं उनके तौर तरीकों को लेकर आलोचना भी हुई है. खासतौर पर सरकार से दबाव बनाने के उनके तरीके को भारत का एक तबका ब्लैकमेलिंग का दर्जा देता है. प्रधानमंत्री पर सीधे हमले को भी लोग टीम अन्ना की राजनीतिक महत्वाकांछा से जोड़ कर देखते हैं.

चार दिन पहले शुरू हुए उनके ताजा आंदोलन का रंग अभी पूरी तरह से नहीं जमा है. समर्थकों की कोई खास भीड़ नहीं देखी गई, भारतीय मीडिया ने भी आंदोलन को ज्यादा तवज्जो नहीं दी है. लेकिन इसके लिए मीडिया की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं. वैसे अन्ना के उपवास शुरू कर देने के बाद इसका असर तेज होने की बात कही जा रही है और इसका संकेत रविवार सुबह जंतर मंतर पर उमड़ी भीड़ से भी मिल गया है.
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