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भ्रष्टाचार के खिलाफ भारत समर्थक

लोकपाल होता तो राष्ट्रपति न बनते प्रणब : केजरीवाल

नई दिल्ली। जंतर-मंतर पर अनशन कर रहे टीम अन्ना के सदस्य अरविंद केजरीवाल ने सरकार पर हमला बोलते हुए दावा किया है कि अगर लोकपाल बिल होता तो प्रणब मुखर्जी कभी राष्ट्रपति न बनते। उन्होंने कहा कि हमने प्रणब के खिलाफ पांच मामलों में सुबूत दिए, लेकिन उनकी अनदेखी करके उन्हें राष्ट्रपति बनाया गया। उन्होंने कहा कि घाना सरकार ने भी प्रणब के खिलाफ जांच की मांग की थी। नेवी वार रूम लीक में भी प्रणब आरोपी हैं। नेवी वार रूम लीक में पेन ड्राइव की चोरी हुई थी। प्रणब ने कहा था कि पेन ड्राइव में कुछ खास नहीं था, जबकि इस पेन ड्राइव में सुरक्षा के दस्तावेज थे। केजरीवाल ने मांग की है कि प्रणब और नेवी वार रूम लीक मामले के मुख्यआरोपी अभिषेक वर्मा के संबंधों की जांच होनी चाहिए। उन्होंने बताया कि रक्षा मंत्री रहते हुए प्रणब पर 18 करोड़ रुपये के पनडुब्बी घोटाले के आरोप हैं। 2500 करोड़ रुपये के चावल घोटाले में भी प्रणब आरोपी हैं।

प्रणब मुखर्जी पर आरोप है कि उन्होंने घाना को चावल निर्यात करने में दो हजार करोड़ रुपये का घोटाला किया। घाना की सरकार ने भारत को लिखा कि आप अपने विदेश मंत्री व वाणिज्य मंत्री की जाच करवाए। केजरीवाल ने प्रधानमंत्री पर हमला बोलते हुए कहा कि उनकी वजह से देश को दो लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। कोयला आवंटन में हुई भारी हेरा-फेरी में इतना बड़ा घोटाला हुआ। वहीं केंद्रीय मंत्री वी नारायणसामी ने टीम अन्ना पर कांग्रेस को बदनाम करने का आरोप लगाया है। उन्होंने इस बात का खंडन किया है कि कांग्रेस समर्थित छात्र संगठन एनएसयूआई के कार्यकर्ताओं ने टीम अन्ना के सदस्यों पर हमले की साजिश रची थी। उन्होंने कहा कि जहां तक कांग्रेस या एनएसयूआई का सवाल है, हिंसा से हमारा कोई लेना-देना नहीं है और न ही हम अलोकतांत्रिक मूल्यों को बढ़ावा देते हैं।

भ्रष्टाचार के खिलाफ अनशन पर बैठी टीम अन्ना और केंद्र सरकार के बीच अनशन के पहले ही दिन से टकराव बढ़ गया है। टीम अन्ना के प्रमुख सदस्य अरविंद केजरीवाल ने सरकार के समक्ष अपनी तीन मांगे रखी है। अरविंद ने अनशन के दौरान कहा कि सरकार प्रधानमंत्री तथा मंत्रियों पर लगे आरोपों की जांच फास्ट ट्रैक कोर्ट से कराएं तथा पार्टी अध्यक्षों पर लगने वाले आरोपों की जांच कराई जाए। टीम अन्ना की इन मांगों को खारिज करते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय के राज्यमंत्री नारायणा सामी ने साफ शब्दों में कहा कै कि ये सारे आरोप कैग की रिपोर्ट और समाचारों की रिपोर्ट के आधार पर लगाया जा रहा है अत: इनकी जंाच संभव नहीं है। इससे भी एक कदम आगे बढ़ते हुए कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा कि यदि टीम अन्ना को सरकार से इतनी ही नाराजगी है तो वह संयुक्त राष्ट्र संघ में इस मामले को ले जाए।

इससे पहले आज सुबह जंतर-मंतर पर टीम अन्ना का अनशन हंगामे के साथ शुरू हुआ। अन्ना हजारे और उनके सहयोगियों पर हमले की साजिश रची गई थी। जंतर-मंतर पर उनके अनशन स्थल पर कुछ युवकों को ऐसी योजना बनाते पाया गया। वहीं मौजूद एक अन्ना समर्थक ने इनकी ऑडियो रिकार्डिग बना कर आयोजकों को सावधान कर दिया। इसके बाद ये हमले में तो कामयाब नहीं हो पाए। मगर वहा हंगामा जरूर किया।

ये छात्र खुद को कांग्रेस समर्थित छात्र संगठन एनएसयूआई के कार्यकर्ता बता रहे थे।

जंतर-मंतर पर एक अन्ना समर्थक के मोबाइल से बनाई रिकार्डिग में कुछ युवक अन्ना के वहा पहुंचने से पहले ऐसी योजना बनाते सुने जा सकते हैं। इसमें से एक व्यक्ति अपने साथियों को निर्देश दे रहा है कि अन्ना, अरविंद केजरीवाल या मनीष सिसोदिया में जो पहले पहुंचे, उसे पीटना है। इसके बाद ये लोग वहा इंतजार करते हैं और किसी जमीन-जायदाद की बिक्री के संबंध में बात करने लगते हैं।

आदोलन के आयोजक 'इंडिया अगेंस्ट करप्शन' के बिभव के मुताबिक एक समर्थक ने जब उन्हें यह रिकार्डिंग दी है। बाद में इनमें से कुछ लोगों ने मंच पर पहुंच कर हमला करने की कोशिश भी की। लेकिन समर्थकों ने उन्हें रोक लिया।

इस बार अनशन पर अरविंद केजरीवाल बैठेंगे, लेकिन अन्ना ने कहा है कि सरकार ने चार दिन के अंदर मागें नहीं मानी तो वे भी आमरण अनशन शुरू कर देंगे। इस बार टीम अन्ना अपने आदोलन से पूरे राजनीतिक तंत्र का शुद्धीकरण करना चाहती है। इसके लिए उसने 14 कैबिनेट मंत्रियों के साथ ही राजनीतिक दलों के प्रमुखों के खिलाफ लंबित भ्रष्टाचार के सभी मामलों की जाच के लिए भी विशेष जाच दल गठित करने की माग की है।

अपनी टीम के साथ मतभेद और अनशन में खुद के शामिल होने पर उठ रहे सवालों के बीच अन्ना ने कहा है कि इस आदोलन में वह भी पूरी तरह शामिल हैं। अपने गाव से अनशन करने का इरादा कर निकले थे, मगर सहयोगियों ने उन्हें फिलहाल रोक दिया है। वे 28 जुलाई तक सरकार का इंतजार करेंगे। अगर मागें नहीं मानी गई तो 29 से खुद भी आमरण अनशन पर बैठ जाएंगे।

अनशन पर बैठ रहे केजरीवाल ने कहा, हालाकि उनका आदोलन जन लोकपाल के लिए ही है, लेकिन उन्हें लगा कि जब तक राजनीतिक तंत्र में भ्रष्ट लोग हावी रहेंगे, यह कानून किसी कीमत पर नहीं बन सकता। इसलिए उन्होंने पहले इस तंत्र के शुद्धीकरण की माग रखी है। इसके तहत 14 कैबिनेट मंत्रियों के खिलाफ एसआइटी की जाच होनी ही चाहिए, राजनीतिक दलों के जिन प्रमुखों के खिलाफ ऐसे आरोप हैं, उनके खिलाफ भी ऐसी ही एसआइटी बनाई जाए। इसी तरह संसद में बैठे दागी सासदों के खिलाफ लंबे समय से लटके मामलों की शीघ्र सुनवाई के लिए अलग से फास्ट ट्रैक अदालतें गठित की जाएं। आदोलन में बाबा रामदेव की भागीदारी के बारे में पूछे जाने पर अन्ना ने कहा, बाबा बुधवार को ही आने वाले थे, मगर उन्होंने फोन कर कहा है कि वह पासपोर्ट मामले में गिरफ्तार अपने सहयोगी बालकृष्ण के मामले की व्यस्तता की वजह से दो दिन बाद ही आ पाएंगे।

तीन प्रमुख मागें :

1. भ्रष्ट कैबिनेट मंत्रियों के खिलाफ एसआइटी जाच हो

2. पार्टी प्रमुखों के खिलाफ सभी लंबित मामलों की जाच एसआइटी से

3. आरोपी सासदों के मामलों की सुनवाई के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट बने

सरकार ने गिनाए अपने कदम

भ्रष्टाचार के खिलाफ टीम अन्ना के अनशन के ठीक पहले पीएमओ ने सरकार की ओर से पिछले एक साल में इस दिशा में उठाए गए कदमों पर बयान जारी किया है। इसके मुताबिक कुछ प्रमुख कदम इस तरह हैं

1. लोकपाल बिल और व्हिसिल ब्लोअर प्रोटेक्शन बिल को लोकसभा में पास किया गया है।

2. अफसरों पर मुकदमे की मंजूरी तीन माह के भीतर देने को जरूरी कर दिया गया है

3. मंत्री अपने विवेकाधीन कोटे का इस्तेमाल कैसे करेंगे, इसके नियम तय कर उन्हें सार्वजनिक कर दिया गया है।
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