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चिदंबरम बने ईजीओएम प्रमुख; विपक्ष, टीम अन्ना नाराज

नई दिल्ली। शरद पवार के इस्तीफे के बाद गृहमंत्री पी चिदंबरम को टेलीकॉम स्पैक्ट्रम के फैसले से जुड़े एंपावर्ड ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स का अध्यक्ष बना दिया गया है। सरकार के इस फैसले का विपक्ष और टीम अन्ना कड़ा विरोध कर रहे हैं। दरअसल टेलीकॉम घोटाले में ही चिदंबरम कोर्ट में घसीटे जा चुके हैं और विपक्ष इस मौके को हाथ से जाने नहीं देना चाहता।

गृह मंत्री पी चिदंबरम पर फिर शुरू हो गया विवाद। मामला है टेलीकॉम स्पैक्ट्रम के आवंटन और उसकी क़ीमत का फैसला करने वाले मंत्रियों के अधिकार प्राप्त समूह यानी ईजीओएम का। चिदंबरम को इस अहम ईजीओएम का अध्यक्ष बना दिया गया है। चिदंबरम पर टेलीकॉम घोटाले में सहआरोपी होने के आरोप लग चुके हैं, हालांकि दिल्ली की निचली अदालत ने उन्हें क्लीन चिट दे दी थी लेकिन अब ये मामला सुप्रीम कोर्ट में है।

चिदंबरम के खिलाफ याचिका दर्ज करने वाले सुब्रह्मण्यम स्वामी उन्हें ईजीओएम का अध्यक्ष बनाए जाने को सुप्रीम कोर्ट की मर्यादा के खिलाफ बता रहे हैं। दरअसल इस ईजीओएम के अध्यक्ष प्रणब मुखर्जी थे। उनके इस्तीफे के बाद शरद पवार को अध्यक्ष बनाया गया। लेकिन विवादों के डर से पवार ने पद स्वीकार नहीं किया। गुरुवार को दोबारा गठित ईजीओएम में रक्षा मंत्री ए के एंटोनी, टेलिकॉम मंत्री कपिल सिब्बल, सूचना प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी, कानून मंत्री सलमान खुर्शीद, प्रधानमंत्री दफ्तर में राज्य मंत्री वी नारायणसामी और योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह आहलूवालिया के नाम शामिल हैं।

चिदंबरम को अध्यक्ष बनाए जाने का सिविल सोसाइटी ने भी विरोध किया है। टीम अन्ना ने चिदंबरम पर हमला बोलते हुए कहा है कि उनके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में गंभीर अपराध का मामला चल रहा है। ऐसे में उन्हें ईजीओएम का अध्यक्ष बनाए जाने का क्या मतलब है।

इस महीने के आखिर में संसद का सत्र शुरु होना है लिहाजा मामला वहां भी उठेगा। विपक्ष ने अभी से अपने तीखे तेवरों के संकेत दे दिये हैं। इस मुद्दे पर कांग्रेस के पास बीजेपी की आलोचना के अलावा कोई ठोस जवाब नहीं है। लेकिन सवाल ये है कि अगर चिदंबरम के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में टेलिकॉम घोटाले से जुड़ा मामला जारी है तो फिर सरकार उन्हीं को ईजीओएम का अध्यक्ष बनाकर क्या साबित करना चाहती है।
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