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टाइम का आवरण देख तिलमिलाए अतिसफल पीएम

सोमवार को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने टाइम एशिया की उस रिपोर्ट, जिसमें उन्हें ऐसा नेता करार दिया गया, जिसने आशा से कम सफलता पाई है (द अंडरअचीवर), की ये कहते हुए कटु आलोचना की कि ये न्यूज़ मीडिया में पूर्वाग्रहों और अशुद्धियों का एक और उदाहरण का प्रतिनिधित्व करती है। “ये किसी भी तरह 100 फीसदी सही नहीं है, यह ज्यादा से ज्यादा 98 फीसदी सही है,” उन्होंने क्रुद्ध होते हुए कहा।

वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने आगे कहा: “भारत की आशा से कम सफलता अर्जित करने की कहानी अखण्ड है।”

कांग्रेस पार्टी के एक प्रवक्ता ने यूएस मैगज़ीन के एशिया संस्करण में प्रधानमंत्री के चरित्र चित्रण पर उपहास किया। “ऐसा कहा गया कि मनमोहन सिंह का मूल्यांकन बतौर अर्थशास्त्री बढ़ा-चढ़ाकर किया गया है और एक राजनीतिज्ञ के तौर पर उन्हें कम आंका गया है। पिछले आठ सालों से प्रधानमंत्री बने रहने के बावजूद उक्त वक्तव्य का आधा ही सही है, ये निश्चित तौर पर एक उपलब्धि है,” प्रवक्ता ने कहा।

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के 10 जनपथ के एक बेनाम प्रवक्ता द्वारा जारी एक वक्तव्य के मुताबिक, “2004 से, डॉ.सिंह के स्थायी अनुदेश हैं कि जितना संभव हो कम काम करें, जबकि सीट पर उस वक्त तक जमे रहें, जब तक श्री राहुल गांधी वंशानुगत अधिकार मान लिए गए इस पद को पाने का साहस नहीं जुटाते। इस संदर्भ में, हम कहेगें कि डॉ.सिंह ने ना केवल उपलब्धियां बटोरी हैं, उन्होंने संभावित तौर पर थोड़ा ज्यादा ही हासिल किया है, उस बिंदु तक जहां हम इच्छुक हैं कि वो वास्तव में कुछ करें, जब तक राहुलजी अपना मन नहीं बना लेते।”

भारतीय जनता पार्टी के सांसद जबरदस्त विरोध-प्रदर्शन के लिए संसद भवन पहुंचे। क्योंकि संसद सत्र नहीं चल रहा है, लिहाज़ा उन्होंने लोकसभा की सीढ़ियों पर जल्दी से एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की, जिसमें उन्होंने शोर-गुल के साथ-साथ नरेन्द्र मोदी का बचाव किया।

द हिंदू, द टाइम्स ऑफ इंडिया, बिज़नेस स्टैन्डर्ड और हिंदुस्तान टाइम्स के संपादकों ने संयुक्त वक्तव्य में कहा: “पश्चिमी देशों की साप्ताहिक पत्रिकाएं जो कुछ हमारे नेताओं और महान देश के बारे में कहती हैं, वक्त आ गया है कि हम उनको ज्यादा तवज्जो नहीं दें। राष्ट्रीय मीडिया के प्रतिनिधियों के तौर पर हमें और ज्यादा आत्म-विश्वास की जरूरत है। हमारे नागरिकों को भी उस दौर से आगे बढ़ने की जरूरत है, जब विदेशों के वक्तव्यों को स्वदेशी वक्तव्यों की बनिस्पत ज्यादा गंभीरता से लिया जाता था। दुर्भाग्यवश, हम उस नए दौर के नजदीक तक नहीं हैं, लिहाजा हमने सोमवार को अपने मुख्य पृष्ठों पर टाइम्स के लेख का प्रमुख तौर पर उल्लेख किया।”

टाइम्स एशिया के संपादक ने एक वक्तव्य में कहा: “जिसने वो शीर्षक दिया, मैं उसका वेतन बढ़ा रहा हूं।”
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