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संसद सौदेबाजी का अड्डा, सेलेक्ट कमेटी है दिखावा : टीम अन्ना

गाजियाबाद। इस महीने अपने अनिश्चितकालीन अनशन से पहले राजनीतिक नेताओं पर हमला करते हुए टीम अन्ना ने लोकपाल विधेयक पर फिर से राज्यसभा की प्रवर समिति द्वारा विचार किए जाने पर सोमवार को सवाल उठाए और आरोप लगाया कि यह सिर्फ विलम्ब करने का प्रयास है।

टीम अन्ना ने यह भी कहा कि लोकपाल विधेयक को लेकर सरकार और राजनीतिक दलों के इरादे पर संदेह उत्पन्न हो गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि सांसदों ने इस प्रतिबद्धता के खिलाफ जाकर संसद का अपमान किया है कि निचले स्तर के नौकरशाह, सिटिजन चार्टर और राज्यों में लोकायुक्तों की नियुक्ति कानून के दायरे में आएगी।

प्रवर समिति के अध्यक्ष सत्यव्रत चतुर्वेदी को लिखे पत्र में टीम अन्ना ने कहा कि पिछले एक साल में यह तीसरी और 44 साल में 11वीं समिति है जो लोकपाल विधेयक पर विचार करने के लिए बनाई गई है।

उन्होंने कहा कि विधेयक 11 बार समितियों को भेजा जा चुका है। क्या सभी दल एवं संसद मजबूत लोकपाल विधेयक पारित करने की इच्छा रखते हैं या समितियां इसमें विलम्ब करने के लिए हैं?

टीम ने कहा, 'संसद की स्थाई समिति द्वारा इस पर विचार किए जाने के बाद अब हमें एक नई प्रवर समिति मिल गई है। यह प्रवर समिति पूर्व की स्थाई समिति से किस तरह भिन्न है?'

मीडिया को पत्र जारी करते हुए अरविन्द केजरीवाल ने कहा कि कोई नहीं जानता कि लोकपाल कानून के पक्ष में कौन है और कौन विपक्ष में है, क्योंकि वे एक जैसी बोली बोलते हैं।

यह उल्लेख करते हुए कि संसद को गत सितंबर में करीब 13 हजार परामर्श मिले, उन्होंने कहा, यदि प्रवर समिति चाहे तो वे इस पर विचार कर सकती है। पत्र में कहा गया, 'दोबारा से परामर्श मांगने की क्या आवश्यकता है? नई समिति गठित करने का क्या औचित्य है?
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