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भ्रष्टाचार के खिलाफ भारत समर्थक

कांग्रेस का एक और फर्जीवाडा

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मित्रों,
यहां दो दस्तखत हैं..
ऊपर वाला जो ISI से इस्तिफे के पत्र में किया गया है...!
नीचे वाला जो साधारणतः प्रणब मुखर्जी करते हैं...!
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# कानून कहता है की एक व्यक्ति कितनें भी दस्तखत कर सकता है..
# कानून कहता है की एक व्यक्ति यदी कहता है की दोनों दस्तखर उसके हैं तो यह माना जायेगा की दस्तखत उसके ही हैं..


किन्तु यदी दोनों दस्तखत उसके ही हैं तो उससे दोनों दस्तखत करते बननें चाहिये..!!! (जांच करेगा कौन..?)
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यह तो हुयी कानूंन की बातें किन्तु एक साधारण सी बात मुझे समझ में नहीं आता की देश के उच्चतम पद की लालसा रखनें वाले श्री प्रणब मुखर्जी जो की भारत के वित्त/रक्षा और भी नजानें कितनें महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके हैं उन्हें अलग अलग दस्तखत करनें की कैसे सूझी..?


निश्चित ही अपनीं "खाल" बचानें में कांग्रेसी किसी भी हद तक गिरनें में माहिर होते हैं और उनकी इस नीचता की "दाद" देनीं चाहिये..!
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और एसे आदमीं को भारत का प्रथम नागरिक बनानें की "जुगाड़" चल रही है..! -Suresh
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