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भ्रष्टाचार के खिलाफ भारत समर्थक

भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार का कदम दिखावा: टीम अन्ना

नई दिल्ली। भ्रष्टाचार निरोधक कानून में बदलाव कर भ्रष्टाचार से लड़ने के सरकार के दावे को टीम अन्ना ने दिखावा करार दिया है। सरकार कानून में बदलाव कर भ्रष्टाचार के मामलों में तीन महीने के भीतर अभियोजन की मंजूरी देने का फैसला कर रही है। टीम अन्ना का कहना है कि सरकार ने ये फैसला अपनी इच्छाशक्ति से नहीं, बल्कि सुप्रीम कोर्ट के डंडे के कारण उठाया है।
दरअसल भ्रष्टाचार के मामले में लगातार घिरी सरकार अपनी छवि सुधारने की जुगत में है। सूत्रों के मुताबिक प्रधानमंत्री ने उस प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी है, जिसके तहत भ्रष्टाचार के मामलों में अभियोजन की मंजूरी दी जाए या नहीं, इसका फैसला तीन महीने के भीतर लेना जरूरी होगा। अब इस प्रस्ताव को कैबिनेट के पास भेजा जाएगा।

उधर, टीम अन्ना का कहना है कि सरकार ने मजबूरी में ये कदम उठाया है। 2 जी मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर कड़ी नाराजगी जताई थी कि पूर्व केंद्रीय मंत्री ए राजा के खिलाफ अभियोजन की मंजूरी देने में प्रधानमंत्री कार्यालय ने 16 महीने लगा दिए। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया था कि इस तरह के मामलों में अधिकतम तीन महीने में फैसला होना चाहिए। टीम अन्ना का कहना है कि कोर्ट के फैसले के कारण ही सरकार कदम उठाने को मजबूर है।
दरअसल कानून के मुतबिक किसी भी सरकारी अधिकारी या कर्मचारी के खिलाफ अभियोजन की कार्यवाही शुरू करने से पहले संबंधित अधिकारी से मंजूरी लेना जरूरी होता है। केंद्रीय मंत्रियों के मामलों में प्रधानमंत्री की मंजूरी मिलना जरूरी है। देखा गया है कि कई मामलों में अभियोजन की मंजूरी नहीं मिलने के कारण ट्रायल ही शुरू नहीं हो पाता।
अब प्रधानमंत्री की पहल के बाद कांग्रेस का कहना है कि उनकी सरकार भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए हरसंभव कोशिश कर रही है। वहीं, विपक्ष को भी एक बार फिर सरकार पर हमला का मौका मिल गया है। बीजेपी का कहना है कि सरकार महज दिखावा कर रही है। जानकारों का कहना है कि भले ही सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ये कदम उठाया जा रहा हो। लेकिन इससे भ्रष्टाचार के मामलों को लटकाए रखने की परंपरा को दूर किया जा सकेगा।
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