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अन्ना ने बदली जनांदोलन की दिशा

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नई दिल्ली : सामूहिक दुष्कर्म से पीड़ित युवती को इंसाफ दिलाने के लिए राजधानी की सड़कों पर उमड़े लोगों का हुजूम पुलिस प्रशासन की कार्रवाई से बेखौफ है। खास कर युवा न तो पुलिस की लाठी से डर रहे हैं और न ही उन्हें गिरफ्तारी देने में झिझक हो रही है। लोगों में आई इतनी हिम्मत अन्ना के आंदोलन से प्रेरित है। विरोध प्रदर्शन में आए लोग स्वीकार करते हैं कि अन्ना हजारे ने देश के लोगों को प्रशासन के खिलाफ डट कर खड़े होने का संबल प्रदान किया है। इस प्रदर्शन में भी अन्ना आंदोलन की झलक दिख रही है। हजारों की संख्या में लोग बगैर किसी संगठन व नेता के अपना हक मांग रहे हैं। तिरंगा लेकर, व बैनर, पोस्टर तथा नुक्कड़ नाटक के जरिए प्रदर्शन भी अन्ना आंदोलन की याद दिला रहा है।

रविवार को जेएनयू से इंडिया गेट पर प्रदर्शन करने आए छात्र राजेश वर्मा ने बताया कि अन्ना आंदोलन से पहले लोगों के विरोध करने का तरीका संकुचित था। वे या तो जंतर-मंतर पर या किसी तय जगह पर एकत्रित होते थे। प्रदर्शनकारी कुछ देर नारेबाजी अथवा अनशन के बाद अपना प्रदर्शन समाप्त कर देते थे। अन्ना ने लोगों को लंबे समय तक आंदोलन करने तरीका सिखाया। दुष्कर्मी को फांसी पर लटकाने की पंट्टी लिए व्यवसायी सूरज प्रसाद के मुताबिक लोगों ने पिछले ही वर्ष 84 वर्षीय व्यक्ति अन्ना को सर्वोच्च तंत्र से लड़ते देखा। उनका साथ देने के लिए देश भर के लोग दिल्ली की सड़कों पर उतर आए। चूंकि उनका मकसद पाक-साफ था। नतीजतन पुलिस की ज्यादतियों के बावजूद प्रदर्शनकारी अडिग रहे। इस घटना से लोगों में बैठा पुलिस प्रशासन का डर भी समाप्त हो गया। इसकी ही परिणति थी कि शनिवार को प्रदर्शनकारियों ने नार्थ ब्लाक तक को घेर लिया।

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