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भ्रष्टाचार के खिलाफ भारत समर्थक

करप्शन में श्रीलंका और चीन से भी आगे हैं हम


नई दिल्ली। करप्शन पर काबू पाने के मामले में भारत की छवि में कोई सुधार नहीं आया है। ट्रांसपैरंसी इंटरनैशनल के करप्शन पर्सेप्शन इंडेक्स (CPI) में भारत को 176 देशों में 94वें स्थान पर रखा गया है। हालांकि पिछले साल भारत का स्थान 95वां था। अंतरराष्ट्रीय निगरानी संस्था ने कहा कि उसने इस साल से स्थिति का मूल्यांकन एक अलग फॉर्म्युले से करना शुरू किया है और इसलिए इस साल के स्थान की तुलना पिछले साल से नहीं की जा सकती।

हालांकि पिछले साल के 95वें स्थान का यदि नए फॉर्म्युले से मूल्यांकन किया जाए तो वह 96 होगा जिसका मतलब है कि इंडेक्स में 'हल्का सुधार' हुआ था। इस साल 0 (सबसे करप्ट) से 100 (पूरी तरह ईमानदार) वाले पैमाने पर भारत को 100 में से 36 अंक मिले हैं जो कि 10 अध्ययनों के औसत का परिणाम है, जिसमें विश्व बैंक के देश प्रदर्शन एवं संस्थागत मूल्यांकन तथा ग्लोबल इनसाइट कंट्री रिस्क रेटिंग्स शामिल है।

2007 में पहली बार भारत को 180 देशों में 72वें स्थान पर रखा गया था और उसके बाद से देश के स्थान में गिरावट दर्ज की जा रही है। 2010 में भारत का स्थान जहां 87वां था 2011 में यह 95वां था। इस साल भारत का स्थान श्रीलंका और चीन से नीचे है जबकि सार्वजनिक क्षेत्रों के उपक्रमों में भ्रष्टाचार के मामले में अफगानिस्तान, ईरान, नेपाल, पाकिस्तान और बांग्लादेश का प्रदर्शन भारत से ज्यादा खराब है।

तीन दशक तक गृहयुद्ध झेलने के बाद श्रीलंका सामान्य स्थिति की ओर लौट रहा है और वह 79वें स्थान पर जबकि चीन 80वें स्थान पर है। डेनमार्क 90 अंक के साथ शीर्ष स्थान पर है जबकि उसके बाद फिनलैंड और न्यू जीलैंड का स्थान है। दोनों देशों का प्रदर्शन आसपास है। निचले स्थान पर रहले वाले देशों में म्यामां, सूडान, अफगानिस्तान, सोमालिया और उत्तर कोरिया हैं।

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