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भ्रष्टाचार के खिलाफ भारत समर्थक

भ्रष्ट लोगों को देश में रहने का हक नहीं : अन्ना



प्रख्यात गांधीवादी समाजसेवी अन्ना हजारे ने कहा है कि जब तक भारत भ्रष्टाचार मुक्त नहीं हो जाता और गरीबों को न्याय नहीं मिलता तब तक उनकी लड़ाई जारी रहेगी।

हजारे ने बुधवार को भारत माता मंदिर परिसर में पूर्वांचल छात्र युवा सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि आजादी के 65 वर्ष बाद भी न तो भ्रष्टाचार पर नियंत्रण हो पाया और न ही गरीबों को न्याय मिला। उन्होंने कहा कि इस दौरान अमीर-गरीब के बीच की खाई बढ़ती गई और पूरे देश में जाति एवं धर्म के नाम पर जहर भरता गया।

उन्होंने कहा कि जो नेता संविधान का आदर नहीं करते हैं उन्हें संसद में रहने का अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि युवाओं की सक्रिय भागीदारी से ही देश बदल सकता है। उन्होंने कहा कि इन्सान की जिन्दगी देशसेवा और समाजसेवा के लिए मिली है तथा जो लोग धन के लालच में भ्रष्टाचार में लिप्त हैं उन्हें इस देश में रहने का अधिकार नहीं है।

उन्होंने कहा कि देश को बदलना असंभव नहीं है बस जरूरत इस बात की है कि लोग देश और समाज के बारे में सोचें।

हजारे ने कहा कि देश को बदलने के लिए संघर्ष को तैयार रहना होगा। उन्होंने कहा कि जो लोग देश और समाज के लिए जेल जाते हैं, उनके लिए यह एक अलंकरण है। युवाशक्ति ही राष्ट्रशक्ति है और जिस दिन यह शक्ति जाग जाएगी देश से भ्रष्टाचार एवं गरीबी अपने आप खत्म हो जाएंगे तथा भ्रष्ट राजनेता एवं अधिकारी भाग खड़े होंगे।

उन्होंने कहा कि उच्च चरित्र, शुद्ध आचरण व विचार तथा त्याग संघर्ष के लिए जरूरी है। उन्होंने कहा कि हम जनलोकपाल की मांग कर रहे हैं और अगर जनलोकपाल आ गया तो 60 से 65 प्रतिशत भ्रष्टाचार अपने आप समाप्त हो जाएगा।

राइट टू रिजेक्ट हमारी दूसरी मांग है और जनप्रतिनिधि यदि जनता का काम नहीं करता है तो उसे वापस बुलाने का अधिकार जनता को होना चाहिए। हजारे ने कहा कि आजादी की लड़ाई लंबे समय तक लड़ी गई, लेकिन इस बीच भ्रष्टाचार, लूटखसोट एवं गरीबी में कमी आने के बजाय बढ़ी है। अब जनता को दूसरी लड़ाई और सिस्टम को बदलने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि देश में विदेशी कंपनियां बेरोकटोक आ रही हैं और किसानों की जमीन कौड़ियों के भाव बेची जा रही है।

सम्मेलन को संबोधित करते हुए पूर्व थलसेनाध्यक्ष जनरल वीके सिंह ने कहा कि हर आंदोलन की सफलता के लिए अनुशासन और संघर्ष की जरूरत होती है। उन्होंने कहा कि देश की आबादी की 70 प्रतिशत संख्या युवाओं की है और विदेश में पढ़ाई के लिए उन्हें प्रतिवर्ष 50 करोड़ रुपए खर्च करने पड़ते हैं। इतने धन से तो 50 से अधिक तकनीकी संस्थान खड़े किए जा सकते हैं।

उन्होंने कहा कि भारत की कृषि योग्य भूमि चीन से ज्यादा है फिर भी हम गरीबों और बेरोजगारों की बड़ी फौज खड़ी किए हुए हैं। आजादी के बाद भी राजनीतिज्ञ लोगों को आश्वासन का झुनझुना थमाए हैं। पूरा देश धर्म एवं संप्रदाय के नाम पर बंटा है और अगर देश को बदलना है तो पहले स्वयं को बदलना होगा।

उन्होंने कहा कि जल, जंगल, जमीन और खनिज के असमान बंटवारे के कारण ही देश में नक्सलवाद तेजी से फैल रहा है और जहां न्याय पहुंचना चाहिए वहां नहीं पहुंच रहा है। दुर्भाग्य की बात यह है कि आम आदमी की प्रजातंत्र में भागीदारी खत्म हो चुकी है।

सिंह ने कहा कि सेना के जवानों की तरह आम आदमी को भी देशहित को सर्वोपरि रखना होगा और जिस दिन यह भावना जागृत हो जाएगी देश अपने आप बदल जाएगा। उन्होंने कहा कि पिछले 
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