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भ्रष्टाचार के खिलाफ भारत समर्थक

1100 करोड़ रुपये के लोन का घोटाला!

सीवीसी अधिकारियों ने बताया कि एक निजी कंपनी यह कहकर विभिन्न बैंकों से ऋण ले रही थी कि उसका उपयोग विभिन्न राज्यों के किसानों द्वारा अरंडी के बीज की खेती करने और आपूर्ति करने के लिए किया जाएगा.


विस्तृत जांच के दौरान बैंक ऑफ महाराष्ट्र के मुख्य सतर्कता अधिकारी को अनियमितता नजर आयी और उन्होंने पाया कि कंपनी ने 50 करोड़ रूपए की कथित धोखाधड़ी की है.


एक सीवीसी अधिकारी ने कहा, ‘मामला अन्य बैंकों और आयोग के संज्ञान में लाया गया तथा आयोग ने पाया कि इस पूरे मामले में 1100 करोड़ रूपए शामिल है.’ उन्होंने बताया कि नौ बैंकों के समूह ने उसे ऋण दिया.


अधिकारी ने कहा, ‘ऋण की राशि कंपनी द्वारा नियुक्त ग्राम स्तरीय समूहों के माध्यम से गबन कर ली गयी. यह ऋण अब गैर निष्पादित संपत्ति हो गयी है और उसे धोखाधड़ी घोषित कर दिया गया.’ हालांकि अधिकारी ने ज्यादा ब्यौरा नहीं दिया.


आयोग ने बैंकों को सलाह दी कि मामले में कर्मचारियों की जिम्मेदारी तय की जाए और उनसे सीबीआई में मामला दर्ज कराने को कहा गया है. उन्होंने कहा, ‘सीबीआई को मामला दर्ज करने और जांच करने को कहा गया है.’
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