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राष्ट्रपति प्रतिभा की बेटी के ट्रस्ट को भी सस्ते में मिल गई महंगी जमीन .......

महाराष्ट्र सरकार द्वारा राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील की बेटी की अगुवाई वाले एक ट्रस्ट को महंगी जमीन आबंटित करने के मामले पर विवाद शुरू हो गया है। पुणे जिले के मुलशी तालुका स्थित जांभे गांव में दो व्यावसायिक रूप से अहम प्लॉट इस शैक्षिक ट्रस्ट को दिए गए हैं। ट्रस्ट में राष्ट्रपति पाटील की बेटी ज्योति राठौर के साथ-साथ महाराष्ट्र के ग्रामीण विकास मंत्री जयंत पाटील भी दखल रखते हैं।


अंग्रेजी अखबार डीएनए में गुरुवार को प्रकाशित एक खबर के मुताबिक ये दोनों प्लॉट मुंबई-पुणे हाईवे और हिंजेवाड़ी आईटी पार्क से 5 किलोमीटर के अंदर और प्रमुख औद्योगिक टाउनशिप पिंपरी और चिंचवड़ से 10 किलोमीटर के अंदर हैं।


गांव वालों और ग्राम पंचायत के कुछ सदस्यों ने बताया कि मुंबई-पुणे एक्सप्रेस वे और आईटी पार्क से करीब होने की वजह से इस इलाके में जमीन की कीमत एक करोड़ रुपए प्रति एकड़ हो गई है। राठौर के महाराष्ट्र महिला उद्यम ट्रस्ट को 6.72 लाख रुपए में 7.93 हेक्टेयर का प्लॉट आबंटित किया गया है। इसमें मैदान के लिए 30 वर्षों तक दिया जाने वाला 1 रुपए सालाना किराया भी शामिल है। योजना के मुताबिक 27,300 वर्गमीटर जमीन का रेजिडेंशल स्कूल के लिए, 20,000 वर्ग मीटर कॉलेज के लिए और 32,000 वर्ग मीटर खेल के मैदान के लिए इस्तेमाल होना है।


संपर्क करने पर राठौर ने बताया कि ट्रस्ट ने तय सरकारी प्रक्रिया और मानकों के हिसाब से ही रकम चुकाई है। उसे प्लॉट कौड़ियों के भाव नहीं दिए गए। पुणे जिला कलेक्टरेट के एक सीनियर अधिकारी ने भी हालांकि औपचारिक तौर पर कुछ कहने से इनकार किया, लेकिन अनौपचारिक बातचीत में कहा कि प्लॉट के आबंटन में नियम-कानूनों की कोई अवहेलना नहीं हुई है। सारे काम सरकार की नीतियों और कानूनी प्रक्रियाओं के मुताबिक हुए हैं।


कुछ गांव वालों ने आरोप लगाया कि इस आबंटन में वह गैरण (चरनोई जमीन, जो जानवरों के चरागाह के तौर पर रिजर्व होती है) जमीन भी ट्रस्ट को दे दी गई। जिला अधिकारियों को इस बारे में जानकारी नहीं थी और उन्होंने कहा कि इस बारे में जानकारी ग्राम पंचायत के पास होगी। सरपंच सविता विजय गायकवाड़ और पूर्व सरपंच विकास गायकवाड़ ने इस मामले में कुछ भी कहने से इनकार कर दिया।


राठौर ने बताया कि ट्रस्ट 20 साल से भी ज्यादा समय से सक्रिय है और जमीन के लिए इसने 2006 में ही आवेदन किया था। गैरण जमीन के मसले पर उनका कहना है कि यह पहला मौका नहीं है जब गैरण जमीन किसी शैक्षिक ट्रस्ट को दी गई है। उन्होंने कहा कि ट्रस्ट ने दो या तीन जगहों पर जमीन के लिए आवेदन किया था, मगर आखिरी फैसला सरकार ने किया। हमारे पास सरकार द्वारा आबंटित जमीन को स्वीकार करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। उन्होंने यह भी बताया कि पंचायत ने इस जमीन आबंटन को मंजूरी दी थी। उसने एनओसी (अनापत्ति प्रमाणपत्र ) भी जारी किया था।


गांव के एक निवासी गोकुल काणपिले ने कहा कि इस बड़ी डील से ट्रस्ट को फायदा हुआ है, मगर ट्रस्ट ने अभी तक गांव के कल्याण के लिए कोई योजना घोषित नहीं की है।
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