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भ्रष्टाचार के खिलाफ भारत समर्थक

भ्रष्टाचार की आंच से बच नहीं सकते पीएम


नई दिल्ली। नौकरशाहों को फैसला लेने में संकोच नहीं करने की प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सलाह को जनता दल  ने आड़े हाथों लिया है। पार्टी ने कहा है कि मनमोहन सरकार चल नहीं, रेंग रही है, इसलिए अफसरों पर जिम्मेदारी थोपकर प्रधानमंत्री बच नहीं सकते हैं। जब कप्तान ही निष्क्रय हो तो टीम कैसे जानदार हो सकती है।


राज्यसभा में जदयू के नेता व पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता शिवानंद तिवारी ने कहा है कि मनमोहन सिंह अब तक की सबसे भ्रष्ट सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं। भले ही उन पर अभी तक भ्रष्टाचार का सीधा आरोप नहीं लगा हो, लेकिन ईमानदारी की उनकी छवि तो दरक ही गई है। भ्रष्टाचार के एक से बढ़कर एक मामले सामने आए। इनमें कोई भी मामला प्रधानमंत्री से छिपा नहीं था, लेकिन वे निष्क्रिय बने रहे।


शिवानंद ने सवाल किया कि राष्ट्रमंडल खेलों में हुए भ्रष्टाचार से क्या प्रधानमंत्री अनजान थे? तत्कालीन खेल मंत्री सुनील दत्त और मणिशंकर अय्यर ने खत के जरिए कलमाड़ी के कारनामों की जानकारी दे दी थी। टू जी स्पेक्ट्रम मामले में प्रधानमंत्री के अलावा सबको मालूम था कि राजा क्या कर रहे हैं। तरह-तरह की सफाई देकर मामले को रफा-दफा करने की कोशिश की गई। जब मामले को सुप्रीम कोर्ट ने हाथ में लिया तब राजा सहित अन्य लोग जेल गए।


जदयू प्रवक्ता ने कहा कि रही सही कसर कोल ब्लॉक आवंटन में निकल गई है। शिबू सोरेन के इस्तीफे के बाद यह मंत्रालय प्रधानमंत्री के पास है। लाखों करोड़ का कोयला निजी कंपनियों को मुफ्त में दे दिया गया। जबकि, बिहार जैसे राज्य को कोयले के अभाव में ढिबरी जलाकर रोशनी के लिए मजबूर किया जा रहा है। देर सबेर यह मामला भी खुलेगा और इसकी आंच से प्रधानमंत्री का बचना मुश्किल दिखाई दे रहा है। अब ऐसे प्रधानमंत्री की कप्तानी में नौकरशाह सक्रिय होकर कैसे काम कर सकते हैं?
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