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भ्रष्टाचार के खिलाफ भारत समर्थक

वेश्यावृति से भी गंभीर बुराई है भ्रष्टाचार : कोर्ट

नई दिल्ली: "मेरे विचार से भ्रष्टाचार वेश्यावृति से भी ज्यादा गंभीर बुराई है।" वेश्यावृति से जहां एक व्यक्ति की नैतिकता प्रभावित होती है, वहीं भ्रष्टाचार पूरे समाज को खतरे में डालता है। यह गंभीर टिप्पणी फर्जी रक्षा सौदा मामले में भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष बंगारू लक्ष्मण को दी गई सजा के दौरान द्वारका कोर्ट के विशेष सीबीआइ जज कंवलजीत अरोड़ा ने की।


अदालत ने कहा कि भ्रष्टाचार की समस्या पूरे देश को उद्वेलित कर रही है। लोगों में आक्रोश का भाव पैदा कर रही है। यह सच है कि हमारा समाज भ्रष्टाचार को सार्वजनिक रूप से मिटाना चाहता है, लेकिन व्यक्तिगत रूप से लोग इसमें स्वयं लिप्त रहते हैं। यह स्थिति इस पूरे मामले को गंभीर बना देती है। ऐसी स्थिति में यह आत्ममंथन का विषय है कि क्या सचमुच हम भ्रष्टाचार से मुक्त समाज चाहते हैं? समाज और देश को भ्रष्टाचार से मुक्त करने का कार्य ठीक उसी तरह है, जैसे छोटे से छिद्र में बड़ा पत्थर रखने की कोशिश। लेकिन हमें अपनी उम्मीद को कायम रखना है, ताकि भ्रष्टाचार को समाप्त किया जा सके, ताकि समाज में सामाजिकता, आध्यात्मिकता व नैतिकता प्रबल हो सके।


भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी भावना प्रदर्शित करते हुए अदालत ने कहा कि आज लोगों की ईमानदारी तभी तक है जब तक उनके पास बेईमानी करने का मौका नहीं है। मौका मिलते ही व्यक्ति बेईमानी करने से बाज नहीं आता। इस परिस्थिति में आज सभी को नैतिक मूल्यों से युक्त शिक्षा (वैल्यू एजूकेशन) की जरूरत है। इस तरह की शिक्षा से ही समाज में लोग उच्च नैतिक मूल्यों से भरे जिम्मेदार नागरिक बनेंगे। ऐसे नागरिक जिनका चरित्र अभाव से भरे दौर में भी नहीं डगमगाएगा। अपने फैसले में अदालत ने कहा कि बंगारू लक्ष्मण ने अपने हित को राष्ट्रहित से ऊपर रखा। निजी फायदे के लिए उन्होंने देश की सुरक्षा को दरकिनार कर दिया। देश की सुरक्षा में तैनात सेना के लाखों जवानों की जान की परवाह नहीं की। कोर्ट ने कहा कि सौदा करते समय इस बात को भी जानने की कोशिश नहीं की गई कि उपकरण जरूरत आधारित मानकों पर खरे उतरते हैं या नहीं। यह सब बहुत शर्मनाक है।
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