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प्रतिभा पाटिल का गृह कलेश

पुणे के पास खडकी सैन्य छावनी में प्रतिभा पाटिल के लिए एक बंगला बन रहा है. 2.61 लाख वर्गफुट में बननेवाले इस बंगले में रिटायरमेन्ट के बाद प्रतिभा देवीसिंह पाटिल निवास करेंगी. उन्होंने इच्छा व्यक्त की है कि वे दिल्ली में रहने की बजाय पुणे में रहेंगी. लेकिन सेना की इस जमीन पर प्रतिभा ताई के लिए बननेवाला बंगला अवैध है. यह न सिर्फ सेना की जमीन पर गैरकानूनी से निर्मित किया जा रहा है बल्कि इसके लिए सेना ही अपने फण्ड से पैसे भी दे रही है. राष्ट्रपति पद से रिटायर होने के बाद अगर प्रतिभा ताई सेना की सर्वोच्च कमांडर नहीं रह जाएंगी तो फिर आखिर किस कानून के तहत सेना की जमीन और पैसा उनके ऊपर न्यौछावर किया जा रहा है?


सामाजिक कार्यकर्ताओं और मीडिया द्वारा यह सवाल उठाये जाने पर प्रतिभा देवी सिंह पाटिल के लिए बन रहे भव्य आवास पर राष्ट्रपति भवन ने लंबी-चौड़ी सफाई दी है। उसका कहना है कि, “पुणे में लिया जाना वाला यह वर्तमान आवास एक घर है जिसमें पहले लेफ्टिनेंट कर्नल स्‍तर का अधिकारी रहता था। यह घर पुराना था। इसलिए इसे रहने के उपयुक्‍त बनाने के लिए इसकी मरम्‍मत आवश्‍यक थी। इसमें कुछ फेरबदल किए गए, ताकि सेवानिवृत्ति के बाद इसे राष्‍ट्रपति के निवास की आवश्‍यकता के अनुसार बनाया जा सके।”


राष्ट्रपति भवन ने यह भी कहा है कि, “राष्‍ट्रपति टैरिटोरियल सेना कैडिटों को उपलब्‍ध कराए जाने वाले निवास की राह में नहीं आ रही हैं। इसलिए यह कहना तर्कसंगत नहीं है कि राष्‍ट्रपति के निवास के लिए प्रयुक्‍त किया जाना वाला भूखंड केवल सैनिकों के आवास के लिए ही प्रयोग किया जाना चाहिए। चूंकि राष्‍ट्रपति ने कैंटोनमेंट एरिया में रहने की इच्‍छा जाहिर की है इसलिए उसे सैनिकों के कल्‍याण के प्रति उदासीनता और लापरवाही के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।”


लेकिन इस खबर को सबसे पहले उजागर करनेवाली पत्रिका मनीलाइफ की ताजा रिपोर्ट राष्ट्रपति भवन के इन दावों का खंडन करती है। उसमें तीन बातें खास तौर पर उठाई गई हैं। एक, रिटायरमेंट के बाद राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के लिए बनाए जा रहे दो बंगले रक्षा भूमि की ए1 भूमि की श्रेणी में आते हैं। इसका कानूनी अभिप्राय यह हुआ कि इस भूमि का इस्तेमाल केवल सैनिक उद्देश्य के लिए हो सकता है। इसे किसी भी सूरत में सिविलियन इस्तेमाल में नहीं लाया जा सकता। सवाल उठता है कि क्या सेवानिवृत होने के बाद भी प्रतिभा देवी सिंह पाटिल सेना की सर्वोच्च कमांडर बनी रहेंगी? नहीं तो वे किस हैसियत से केवल सैनिक मकसद के लिए नियत भूमि पर घर बनाकर रह सकती हैं?


दूसरी बात यह है कि इनमें से एक बंगला सर्वे नंबर 26ए में पड़ता है जो 2.1 एकड़ जमीन में है। यह अच्छी हालत में था और उसे मरम्मत के अयोग्य (बियोन्ड इकनॉमिक रिपेयर) नहीं घोषित किया गया था। फिर उसे क्यों गिरा दिया? हालांकि राष्ट्रपति भवन की बेशर्मी देखिए कि वह अब भी गिराने की नहीं, केवल मरम्मत की बात स्वीकार कर रहा है।


हकीकत यह है कि सर्वे नंबर 26बी की लगभग 2.5 एकड़ जमीन पर स्थित दूसरा बंगला भी पूरी तरह जमींदोज कर दिया गया है ताकि वहां नया भवन बनाया जा सके। क्या इसे मरम्मत कहते हैं? तीसरी अहम बात नोट करने की यह है कि राष्ट्रपति पाटिल के आवास को बनाने का काम मिलिट्री इंजीनियरिंग सर्विसेज (एमईएस) को दिया गया है। एमईएस कमांडर वर्क्स इंजीनियर्स (सीडब्ल्यूई) खडकी के तहत आता है जो खुद दक्षिणी कमांड हेडक्वार्टर्स के चीफ इंजीनियर के तहत आता है। इस तरह बंगले के निर्माण का काम सीधे-सीधे दक्षिणी कमांड के मौजूदा आर्मी कमांडर लेफ्टिजेंट जनरल ए के सिंह के अधीन हो रहा है। क्या आर्मी कमांडर यह बता सकते हैं कि सेना की ए1 भूमि में कैसे उन्हीं की देखरेख में एक सिविलियन बंगले का निर्माण किया जा रहा है? मनीलाइफ की रिपोर्टर और सामाजिक कार्यकर्ता विनीता देशमुख ने डिफेंस एस्टेट ऑफिस (डीईओ) के मिली अंदरूनी जानकारी के हवाले यह भी बताया है कि प्रतिभा पाटिल के रिटायरमेंट बंगले पर खर्च होनेवाले 8 करोड़ रुपए सेना के फंड से दिए जा रहे हैं। क्या जनधन का ऐसा मनमाना उपयोग हमारे महान देश भारतवर्ष के प्रथम नागरिक को शोभा देता है?
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