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गहरा षडयंत्र : शमूम काजमी के जरिए आंदोलन का स्टिंग ऑपरेशन

22 अप्रैल को नोएडा में हुई कोर कमेटी की मीटिंग की घटनाओं के पीछे गहरा षडयंत्र नजर आता है. ऐसा प्रतीत होता है कि कुछ ताकतें शमूम काजमी के जरिए आंदोलन से जुड़े नेतृत्व का स्टिंग ऑपरेशन कराकर उन्हें बदनाम करने की कोशिश कर रही थीं. कोर कमेटी की मीटिंग में कुछ भी गोपनीय चर्चा नहीं होती. कई बार बाहर के लोग भी आकर मीटिंग में बैठे हैं और उन्होंने चर्चा सुनी है लेकिन मीटिंग की कार्रवाई की चोरी-छुपे रिकॉर्डिंग करना और पकड़े जाने पर बेचैन होकर चीखने-चिल्लाने लगना, इससे जरूर संदेह पैदा होता है.


गोपाल राय ने शमूम काजमी को रिकॉर्डिंग करते पकड़ा. जब उन्होंने मुद्दा उठाया तो शमूम ने फोन दिखाने से मना कर दिया. कई सदस्यों के निवेदन करने पर उन्होंने फोन बिभव को दिया. बिभव ने फोन देखा तो उसमें पूरे दिन की कई रिकॉर्डिंग मिली. इस पर एक सदस्य काफी गरम हो गए. दूसरे सदस्य ने शमूम से मीटिंग छोड़कर जाने का आग्रह किया. इसे पूरे घटनाक्रम में अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया ने कुछ भी नहीं कहा लेकिन मजे की बात यह कि शमूम ने बाहर निकलते ही पहला निशाना अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया को ही बनाया. ऐसा लगता है कि उन्हें पढ़ा-लिखाकर भेजा गया था. यह एक सुनियोजित स्टिंग ऑपरेशन का षडयंत्र था. जिसके बाद शमूम को वही कहना था जो उन्होंने बाहर निकलकर कहा, जो उनके आकाओं ने उन्हें सिखाकर भेजा था.


हम पारदर्शिता के खिलाफ नहीं हैं. हम हमेशा से पारदर्शिता की लड़ाई लड़ते रहे हैं. पर यह लड़ाई भ्रष्टाचारी ताकतों के खिलाफ है. कल की मीटिंग में भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों से लड़ने की रणनीति बनाई जा रही थी. अगर यह रणनीति सार्वजनिक हो जाती तो भ्रष्टाचारियों को फायदा पहुंचता. इससे भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई की धार कम हो जाती.


इस आंदोलन को कमजोर करने और तोड़ने की पहले भी कोशिशें की जा चुकी हैं लेकिन भगवान इस आंदोलन के साथ है, सच्चाई इस आंदोलन के साथ है. पहले की तरह इस बार भी जीत सच्चाई की ही हुई.


- टीम आईएसी
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