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सरपंचों ने खरीदे बोलेरो और पजेरो : जयराम रमेश

केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने माना कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी अधिनियम [मनरेगा] में मध्य प्रदेश में भी घपले हो रहे हैं। यही वजह है कि यहां के सरपंच भी बोलेरो और पजेरो गाड़ियां खरीद रहे हैं। इस संबंध में शिकायतें उनके पास आई हैं।


रमेश ने रविवार को यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि मनरेगा में इस वर्ष 40 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान है। इतनी बड़ी राशि की योजना में गड़बड़ी की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता। इसे रोकने के लिए योजना का सोशल ऑडिट जरूरी है। आंध्र प्रदेश का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि वहां सोशल ऑडिट से 140 करोड़ रुपये की गड़बड़ी पकड़ी गई, जिसमें 30 करोड़ रुपये की तो वसूली भी हो चुकी है।


मनरेगा में होने वाली गड़बड़ियों की चर्चा करते हुए रमेश ने कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री ने उन्हें बताया है कि उनके राज्य के सरपंच बोलेरो व पजेरो जैसी गाड़ियां खरीद रहे हैं। इसी तरह के मामले उनके समक्ष मध्य प्रदेश के संदर्भ में भी आए हैं।


रमेश ने बताया कि देश में रक्षा मंत्रालय के बाद ग्रामीण विकास मंत्रालय का बजट ही सबसे अधिक है। ग्रामीण विकास के लिए इस बार के बजट में 99 हजार करोड़ रुपये के प्रावधान किए गए हैं। इसमें किसी तरह की गड़बड़ी न हो इसके लिए उन्होंने भारत के नियंत्रक-महालेखा परीक्षक [सीएजी] से ऑडिट कराने का निर्णय लिया है। देश के 12 राज्य में चल रही मनरेगा का ऑडिट भी सीएजी करेगी।


मनरेगा में गड़बड़ी और दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई न किए जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि उनके हाथ बंधे हुए हैं। वे गड़बड़ियों पर राज्य सरकारों को केवल पत्र लिख सकते हैं, लेकिन कार्रवाई करना राज्य सरकारों के हाथ में है। मंत्रालय की सिफारिशों पर राज्य सरकार की ओर से कार्रवाई नहीं किए जाने से पता चलता है कि वह भ्रष्ट अधिकारियों को बचा रही है।


उन्होंने कहा कि मंत्रालय के पास सिर्फ एक अधिकार है और वह है योजनाओं की राशि रोकना। लेकिन वह ऐसा नहीं करेंगे, क्योंकि वह नहीं चाहते कि गलती अधिकारी करे और नुकसान जनता का हो।


मनरेगा के दूसरे अवतार को लेकर हो रही चर्चा के संदर्भ में रमेश ने कहा कि इसके लिए मिहिर शाह की अध्यक्षता में एक समिति बनाई गई थी, जिसकी रिपोर्ट 15 से 20 मई के बीच सामने आ जाएगी। समिति ने योजना सुधार के कुछ सुझाव दिए हैं। इनमें 27 सुझाव कृषि उत्पादन व उत्पादकता से सम्बंधित हैं।


केंद्र पर उपेक्षा के मध्य प्रदेश सरकार के आरोपों से इंकार करते हुए रमेश ने कहा कि राज्य की ओर से जो भी प्रस्ताव आते हैं, उन पर जल्द से जल्द फैसले लिए जाते हैं। मध्य प्रदेश में कई योजनाओं का हाल यह है कि यहां जिम्मेदार अधिकारियों की तैनाती भी नहीं की गई है।
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