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आदर्श घोटाला: जमीन कारगिल शहीदों की नहीं : न्यायिक समिति


मुंबई। आदर्श सोसायटी की जमीन सरकार की ही है, सेना की नहीं। आदर्श न्यायिक आयोग ने महाराष्ट्र सरकार को ये कहकर बड़ी राहत दे दी है कि इसे करगिल के शहीदों की विधवाओं के लिए आरक्षित नहीं किया गया था। इस रिपोर्ट से महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्रियों अशोक चव्हाण, विलासराव देशमुख, सुशीलकुमार शिंदे और नारायण राणे को भी कुछ राहत मिली है, पर सूत्रों की मानें तो इस 106 पन्ने की रिपोर्ट का सीबीआई जांच पर कोई असर नहीं होगा। न्यायिक आयोग की ये रिपोर्ट कैबिनेट के सामने रखी गई। विपक्ष का आरोप है कि रिपोर्ट के जरिए सरकार अपनी बिगड़ी सूरत बदलने की कोशिश में है। इधर, रक्षा मंत्रालय ने आदर्श की जमीन के मालिकाना हक को लेकर सुप्रीम कोर्ट जाने का ऐलान कर दिया है।


रिपोर्ट में कोलाबा की भूमि के मालिकाना हक पर प्रकाश डाला गया है जहां 31 मंजिली इमारत का निर्माण हुआ और क्या यह युद्ध नायकों और कारगिल विधवाओं के लिए आरक्षित था। मामले में आरोप यह है कि प्रदेश सरकार ने आदर्श सोसाइटी को भूमि आवंटित की जबकि यह रक्षा मंत्रालय की थी और इमारत का निर्माण कई कानूनों और पर्यावरण नियमों को तोड़ कर किया गया। प्रदेश सरकार ने मालिकाना हक और आरक्षण पर अंतरिम रिपोर्ट के लिए कुछ महीने पहले आयोग का रुख किया था ।


महाराष्ट्र सरकार ने पिछले साल जनवरी में आदर्श सोसाइटी घोटाले की जांच के लिए दो सदस्यीय आयोग का गठन किया था।


आयोग को घोटाले के हर पहलुओं की जांच करने की जिम्मेदारी सौंपी गई। आयोग जमीन के मालिकाना हक, आवंटन सहित निर्माण में विभिन्न नियमों के उल्लंघन की जांच कर रहा है।
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