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टीम अन्ना ने किया रक्षा दलाली नेटवर्क का पर्दाफाश

टीम अन्ना ने काग्रेस के खिलाफ नया मोर्चा खोलते हुए रक्षा सौदे में दलाली के बड़े नेटवर्क के सक्रिय होने के आरोपों के साथ कुछ सनसनीखेज कागजात पेश किए हैं।

अरविंद केजरीवाल का कहना है कि ये कागजात सरकार के शीर्ष स्तर से इस नेटवर्क को संरक्षण हासिल होने का सबूत हैं। सरकारी जाच एजेंसिया इन दलालों को पकड़ने की बजाय संरक्षण दे रही हैं। यहा तक कि एजेंसिया इन सबूतों को लेने तक से इंकार कर रही हैं।

टीम अन्ना ने आरोप लगाया है कि नौसेना वार रूम लीक घोटाले में आरोपी अभिषेक वर्मा खुद को काग्रेस व सरकार का प्रतिनिधि बता रक्षा सौदों में दलाली कर रहा है। कुछ साल पहले तक उसके साझेदार रहे अमेरिकी नागरिक सी एडमंड एलन ने अब उससे झगड़े के बाद इस धंधे के बहुत से सबूत भारतीय जाच एजेंसियों को भेजे हैं, लेकिन एजेंसिया इन सबूत को लेने तक से इंकार कर रही हैं। आखिरकार उसने ये सबूत टीम अन्ना को भेजे हैं।

केजरीवाल ने दस्तावेज पेश करते हुए दावा किया कि रक्षा दलाली के आरोपी अभिषेक वर्मा ने अमेरिकी नागरिक सी एडमंड एलन के साथ दो अलग- अलग समझौते कर दो हजार करोड़ रुपये दिए हैं।

भूषण के मुताबिक उन्होंने अमेरिकी अदालत के रिकार्ड की जाच में पाया है कि वर्मा ने इस रकम की वापसी के लिए मुकदमा दायर किया है। उन्होंने सवाल उठाया कि इतनी मोटी रकम आखिर किसकी है और क्या वर्मा ने इसके बारे में टैक्स एजेंसियों को जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि अभिषेक वर्मा के माता और पिता दोनों लंबे समय तक काग्रेस सासद रहे हैं। स्कार्पियन सौदे में सामने आए दस्तावेजों में साफ है कि वह खुद को काग्रेस और सरकार का प्रतिनिधि बता चार फीसदी दलाली माग रहा था, लेकिन वार रूम लीक मामले में जमानत पर रिहा होने में जाच एजेंसिया उसकी मदद कर रही हैं। यही कारण है कि अगस्ता वेस्टलैंड को हेलीकाप्टर सौदे में मदद चाहिए हो, जर्मन कंपनी आरएडी को काली सूची से नाम हटवाना हो, या फिर इजराइली दूरसंचार कंपनी ईसीआइ को एंटी डंपिंग शुल्क वापस करवाना हो, ऐसे सभी गैर कानूनी कामों के लिए ये कंपनिया अभिषेक वर्मा से ही संपर्क करती हैं। केजरीवाल ने कहा कि इन कागजातों को देख कर साफ लगता है कि सरकार के शीर्ष स्तर पर वर्मा को संरक्षण मिला हुआ है।

टीम अन्ना के अहम सदस्य प्रशात भूषण ने कहा, उन्होंने इस संबंध में अपने स्तर पर मामले की सत्यता की पड़ताल की है। कुछ कागजों की सत्यता जाच एजेंसिया ही परख सकती हैं। उन्होंने कहा, आरोप इतने गंभीर हैं कि इन पर चुप रहना किसी बड़े अपराध से कम नहीं। जाच एजेंसिया इसके बाद भी हरकत में नहीं आई तो वे इस मामले को अदालत ले जाने पर विचार करेंगे।
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