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बोफोर्स का जिन्न फिर बाहर, क्वात्रोच्चि को बचाया था राजीव ने, अमिताभ को फंसाया गया!

बोफोर्स का जिन्‍न एक बार फिर बाहर आ गया है। स्‍वीडिश पुलिस के पूर्व प्रमुख स्‍टेन लिंडस्‍टॉर्म ने भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी पर गंभीर आरोप लगाए हैं। स्‍टेन वही अधिकारी हैं, जिन्‍होंने इस मामले की जांच की थी और पत्रकार चित्रा सुब्रमण्‍यम (तब 'द हिंदू' में काम करती थीं) को घोटाले से जुड़े 300 पन्‍नों के दस्‍तावेज सौंपे थे। इसी दस्‍तावेज के आधार पर चित्रा ने बोफोर्स सौदे में कथित दलाली की खबर ब्रेक की थी।


25 साल बाद एक बार फिर स्‍टेन ने चित्रा को इंटरव्यू दिया है। इसमें उन्‍होंने कहा है कि कि इस बात के कोई सुबूत नहीं है कि राजीव गांधी ने रिश्‍वत ली थी। लेकिन यह भी सच है कि राजीव ने इस मामले के मुख्‍य आरोपी ओट्टावियो क्‍वात्रोच्चि को बचाने की कोशिशें रोकने के लिए कुछ नहीं किया। स्‍टेन के मुताबिक क्‍वात्रोच्चि के खिलाफ ठोस सुबूत उपलबध हैं और उसे भारत और स्‍वीडन, दोनों ही देशों में बचाने की खूब कोशिशें की गईं। 'द हूट' नाम की वेबसाइट पर पोस्‍ट इंटरव्यू में स्‍टेन ने यह भी कहा है कि निर्दोष लोग फंसाए गए और दोषी आजाद घूमते रहे।


स्‍टेन ने अमिताभ बच्‍चन को क्‍लीन चिट देते हुए कहा है कि उनके और उनके परिवार के खिलाफ इस घोटाले से जुड़ी जो भी खबरें छपी थीं, वे सारी प्रायोजित थीं। उनके मुताबिक भारत के जांचकर्ताओं ने स्‍वीडन के अखबार DAGENS NYHETER में अमिताभ और उनके परिवार के खिलाफ खबरें छपवाईं। स्‍टेन ने कहा, 'उन्‍होंने (भारतीय जांचकर्ताओं ने) मुझे कुछ लोगों के नामों की सूची सौंपी, जिनके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कहा गया था। इसमें अमिताभ बच्‍चन का भी नाम था। स्‍वीडन के उस दौरे के दौरान भारतीय जांचकर्ताओं ने DN में अमिताभ एंगल से खबरें प्रायोजित करवाईं।'


इस खुलासे पर राजनीतिक दलों की टिप्‍पणी भी आ रही है। माकपा का कहना है कि वह बोफोर्स घोटाले के आरोपी क्‍वात्रोच्चि को बचाने के पीछे राजीव गांधी का हाथ होने की बात शुरू से कहती रही है। ऐसे में यह खुलासा कोई नया या चौंकाने वाला नहीं है, बल्कि इसके जरिए सच सामने आया है। माकपा इस मुद्दे को संसद में भी उठा सकती है। लेकिन सपा का कहना है कि 25 साल पुराने बोफोर्स के जिन्‍न को सदा के लिए दफन कर देना चाहिए।
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