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भ्रष्टाचार के खिलाफ भारत समर्थक

अन्ना ने पीएम को याद दिलाया 9 साल पुराना वादा

समाजसेवी अन्ना हजारे ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखकर उनसे भ्रष्टाचार के विरूद्ध 2003 के संयुक्त राष्ट्र प्रस्ताव और राजनीति में अपराधीकरण की समस्या का अध्ययन करने के लिए गठित ए. एन वोहरा समिति की रिपोर्ट की सिफारिशों को लागू कराने का आग्रह किया है।


हजारे ने पत्र में प्रधानमंत्री को याद दिलाया कि भारत ने भ्रष्टाचार के विरूद्ध संयुक्त राष्ट्र के 2003 के प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए थे। जब उसने देश में भ्रष्टाचार के खतरे को खत्म करने की आवश्यकता समझी थी। उन्होंने कहा कि इस प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए नौ वर्ष बीत चुके हैं। पर जमीनी आधार पर स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया है क्यों कि भ्रष्टाचार खत्म करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया।


भ्रष्टाचार को रोकने के लिए जनलोकपाल विधेयक लाने के वास्ते राष्ट्रव्यापी आंदोलन चलाने वाले हजारे ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव में जांच एजेंसियों को प्रभावी और दबावमुक्त कार्य करने की खातिर आवश्यक स्वतंत्रता देने की बात कही गई है। पर भारत सरकार ने इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया। इसीलिए उन्होंने और उनकी टीम ने देश की प्रमुख जांच एजेंसी केंद्रीय जांच ब्यूरो को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने की मांग की है।


हजारे ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने के बावजूद सरकार भ्रष्टाचार के विरद्ध लड़ने के लिए स्थापित संस्थानों को स्वतंत्र रप से काम करने नहीं दे रही है। उन्होंने पूछा कि संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने की क्या जरूरत थी। क्या इससे यह नहीं समझा जाए कि सरकार ऐसे संस्थानों को मजबूत करना नहीं चाहती है। उन्होंने कहा कि जब तक भ्रष्टाचार को जड़ से उखाड़ फेंका नहीं जाएगा तब तक देश का भविष्य धुंधला ही रहेगा।


अन्ना हजारे ने कहा कि भ्रष्टाचार हैजे की तरह है जो लोकतंत्र, न्यायपालिका और रोजाना के कामकाज को संक्रमित करता है और लंबे समय बाद सरकार के क्रियाकलाप को प्रभावित करना है। उन्होंने मांग की कि सरकार ए.एन. वोहरा समिति की रिपोर्ट में की गई सिफारिशें को लागू करे जिसमें राजनीति के अपराधीकरण को रोकने के सुझाव दिए गए हैं।
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