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निगम चुनाव: शीला की सबसे बड़ी हार

नई दिल्‍ली : राष्ट्रीय राजधानी दिल्‍ली में नगर निगम चुनाव के लिए मतों की गिनती में भाजपा तीनों निगमों में काफी बढ़त बना ली है। एक तरह से अब यह स्‍पष्‍ट हो गया है कि तीनों निगमों पर भाजपा ने फिर से कब्‍जा जमा लिया है। दिल्ली नगर निगम के चुनाव रविवार को हुए थे। इन परिणामों के सामने आने के बाद दिल्‍ली की शीला दीक्षित सरकार को करारा झटका लगा है। बताया जा रहा है कि बीते 15 सालों में शीला दीक्षित की यह सबसे बड़ी हार है।


निगम चुनावों को मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा था और कांग्रेस के साथ भाजपा नेताओं का भी मानना था कि ये चुनाव इस बात का संकेत देंगे कि विधानसभा चुनावों में ऊंट किस करवट बैठेगा। विधानसभा चुनाव में केवल 18 महीने का ही समय बचा है। अविभाजित एमसीडी में भाजपा के 164 पार्षद थे जबकि कांग्रेस के 67 और बसपा के 17 । भाजपा ने इन चुनावों में दीक्षित सरकार के खिलाफ कथित भ्रष्टाचार के आरोपों को मुद्दा बनाया था जबकि कांग्रेस एमसीडी प्रशासन में भगवा पार्टी के ‘भ्रष्ट और निकम्मेपन’ को मुद्दा बनाकर चल रही थी। वर्ष 2007 के अविभाजित नगर निगम चुनावों में भाजपा को 36. 17 फीसदी मत मिले थे जबकि कांग्रेस के हिस्से में 29.17 फीसदी तथा बसपा के हिस्से में 9.87 फीसदी वोट आए थे। उस समय कुल मतदान 42.35 लाख रहा था।


नगर निगम के चुनाव परिणाम में कांग्रेस की हार एक तरह से तय होने के बाद बीजेपी ने अपनी जीत का जश्न मनाना शुरू कर दिया है। बीजेपी की इस जीत को कांग्रेस के खिलाफ चल रही लहर माना जा रहा है। कांग्रेस के खेमे में पूरी तरह मायूसी है और इसे शीला दीक्षित के लिए बड़ा झटका बताया जा रहा है। इस हार की गाज दिल्ली की मुख्यमंत्री के ऊपर गिरने के पूरे आसार नजर आने लगे हैं।


गौर हो कि पंजाब, उत्तर प्रदेश और गोवा के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को करारी शिकस्त खानी पड़ी और अब कांग्रेस को दिल्ली के निगम चुनावों में भी हार का सामना करना पड़ा है। बीजेपी तीनों निगमों में बहुमत की ओर बढ़ रही है। बीजेपी नेता इस जीत को कांग्रेस की गलत नीतियों और उनके फैलाए भ्रष्टाचार के खिलाफ जीत बता रहा है। भाजपा नेता वीके मल्‍होत्रा ने कहा है कि इस चुनाव में कांग्रेस के हार की सबसे बड़ी वजह भ्रष्‍टाचार है।
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