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भ्रष्टाचार के खिलाफ भारत समर्थक

गरीब रहे भूखे और अनाज डकार गए घोटालेबाज

चुनाव आते हैं और बीत जाते हैं। भ्रष्टाचार मुद्दा बनता है, आरोप-प्रत्यारोप के दौर चलते हैं। इसे जड़ से उखाड़ फेंकने के दावे भी होते हैं, लेकिन इन सबके बीच गहराई तक अपनी जड़े जमाए घोटालेबाज अपनी करतूत को अंजाम देने में लगे रहते हैं।


एक घोटाला उजागर होता है और जांच शुरू होती है कि दूसरे घोटाले की नींव पड़ जाती है। यह क्रम चलता रहता है और गरीब जनता पीसती रहती है। कम से कम उत्तर प्रदेश में हाल के दिनों में हुए घोटाले तो यहीं इशारा करते हैं।


2004 में सामने आया अनाज घोटाला
जहां तक लखीमपुरखीरी में हुए अनाज घोटाले की बात है तो वर्ष 2004 में सामने आई थी। खाद्य-रसद विभाग में तैनात फूड सेल के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक जयवीर सिंह ने 2005 में इसकी जांच रिपोर्ट शासन को सौंपी थी। इसमें 300 अफसरों, कर्मचारियों और दुकानदारों को जिम्मेदार ठहराया गया था। यह बात भी सामने आई थी कि ट्रकों के जो नंबर दिए गए हैं, उनमें कई स्कूटर, मोटरसाइकिल और मोपेड के नंबर हैं।


गोंडा में 400 करोड़ के खाद्यान्न घोटाले की रिपोर्ट
लखीमपुरखीरी में जांच चल ही रही थी कि गोंडा से बांग्लादेश जा रहा खाद्यान्न पकड़ा गया। सीएम ने खाद्य रसद विभाग के विशेष सचिव हरिशंकर पाण्डेय को जांच सौंपी। पाण्डेय ने गोंडा में 400 करोड़ के खाद्यान्न घोटाले की रिपोर्ट दी। इसके बाद पूरे प्रदेश में जांच शुरू हुई और बलिया, आजमगढ़, रायबरेली समेत कई जिलों में अनाज घोटाले की बात सामने आई।


सरकार ने साधी चुप्पी
घोटाला सामने आते ही सीबीआई जांच की मांग होने लगी और कुछ संगठनों ने हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ का दरवाजा खटखटाया। बाद में सरकार ने ईओडब्लू से जांच शुरू कराई। मार्च 2006 में कोर्ट ने राज्य सरकार से गोंडा के खाद्यान्न घोटाले की जांच सीबीआई से कराने की अपेक्षा की, पर तत्कालीन सरकार चुप्पी साधे रही।


2007 में सीबीआई को सौंपी जांच
दबाव पड़ने पर एसआईटी को जांच सौंपी गई। एसआईटी ने थोडे़ दिन जांच के बाद कहा कि घोटाले में केंद्रीय खाद्य विभाग के अधिकारियों के संलिप्त होने के आरोप हैं और मामला देश-विदेश से जुड़ा है, इसलिए इसकी जांच सीबीआई के सुपुर्द की जानी चाहिए। इसके बाद 1 दिसंबर 2007 को वर्तमान मायावती सरकार ने 2004-05 में हुए घोटाले की जांच सीबीआई से कराने की संस्तुति की।


घटनाक्रम---
- एक वर्ष की हीलाहवाली के बाद सीबीआई ने नवंबर 2008 में लखीमपुरखीरी, बलिया और सीतापुर में घोटाले की जांच शुरू की।
- लखीमपुरखीरी और बलिया में 2004-05 में हुए खाद्यान्न घोटाले के 52 मामलों में नौ एफआईआर दर्ज कराईं गई।
- लखीमपुरखीरी और बलिया में जांच के बाद आठ सीडीओ समेत 175 पर सीबीआई ने मुकदमा दर्ज कराया।


जांच में जुटी एजेंसियां
1- सीबीआई : बलिया, खीरी और सीतापुर के मामलों की जांच कर रही है।
2- पुलिस का फूड सेल : बलरामपुर, बहराइच और श्रावस्ती जिलों के घोटालों की जांच की है।
3- स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) : वाराणसी, इलाहाबाद, बस्ती, हरदोई, लखनऊ, ललितपुर, लखीमपुर खीरी, शाहजहांपुर, गोण्डा और संत रविदासनगर की जांच कर रही है।
4- आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा (ईओडब्लू): मथुरा, हमीरपुर, जौनपुर, संतकबीरनगर और महोबा की जांच कर रही है।
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