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कांग्रेस के करीबी अभिषेक के पास कहां से आए 2000 करोड़ : टीम अन्ना

टीम अन्ना ने कुछ विस्फोटक दस्तावेज पेश करते हुए आरोप लगाया है कि रक्षा सौदों में दलालों का बड़ा नेटवर्क सक्रिय है और उनकी पहुंच सरकार में टॉप लेवल तक है। नौसेना वॉर रूम लीक मामले में आरोपी अभिषेक वर्मा के खिलाफ सबूत पेश करते हुए अन्ना के सहयोगियों ने कांग्रेस और सरकार को घेरने की कोशिश की है।


टीम अन्ना के मुताबिक, 'अभिषेक वर्मा खुद को कांग्रेस और सरकार का प्रतिनिधि बताकर रक्षा सौदों में दलाली कर रहा है। उसने कुछ साल पहले तक अपने पार्टनर रहे अमेरिकी नागरिक सी. एडमंड्स एलन को निवेश के लिए करीब 2000 करोड़ रुपये दिए थे। अब दोनों के बीच झगड़ा हो गया है और एडमंड्स ने इस धंधे के बहुत से सबूत भारतीय जांच एजेंसियों को भेजे हैं, लेकिन अब तक किसी एजेंसी ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। आखिरकार उन्होंने सबूत टीम अन्ना को भेजे हैं।'


गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में टीम अन्ना ने साफ किया कि दस्तावेज कितने प्रामाणिक हैं यह तो उन्हें नहीं पता, लेकिन अगर ये सही हैं तो पूरे देश के लिए बेहद खतरनाक हालात के संकेत देते हैं। टीम अन्ना के मुताबिक, अभिषेक वर्मा न केवल हथियार सौदों में दलाली करता दिखता है बल्कि वह कांग्रेस की तरफ से बात करता है और उसकी सत्ता के सर्वोच्च स्तर तक मिलीभगत के प्रमाण हैं। टीम अन्ना ने कहा कि इन दस्तावेजों से एक बार फिर यह साबित होता है कि जब तक सीबीआई, ईडी और अन्य जांच एजेंसियों को सरकार और सत्तारूढ़ नेताओं के चंगुल से निकाला नहीं जाता, तब तक एजेंसियां करप्शन के मामलों की सही ढंग से जांच नहीं कर पाएंगी।


देखें: यह पूरा विस्फोटक दस्तावेज यहां...


केजरीवाल ने दस्तावेज पेश करते हुए दावा किया कि अभिषेक वर्मा ने एडमंड्स एलन के साथ दो अलग-अलग समझौते कर दो हजार करोड़ रुपये दिए थे। इसके बाद सन् 2010 में दोनों अलग हो गए और वर्मा ने एडमंड्स को पैसे लौटाने का नोटिस भेजा। जब एडमंड्स ने कोई जवाब नहीं दिया तो वर्मा ने उसके खिलाफ केस दायर कर दिया। भूषण के मुताबिक, उन्होंने अमेरिकी अदालत के रिकॉर्ड की जांच की है और पाया कि वर्मा ने इस रकम की वापसी के लिए एडमंड्स के खिलाफ केस दायर किया है। उन्होंने सवाल उठाया कि इतनी मोटी रकम आखिर अभिषेक वर्मा के पास कहां से आई, पैसे का असली मालिक कौन है और क्या वर्मा ने इसके बारे में टैक्स एजेंसियों को जानकारी दी है।


टीम अन्ना ने कहा,'अभिषेक वर्मा के माता-पिता श्रीकांत वर्मा और वीणा वर्मा लंबे समय तक कांग्रेस सांसद रहे हैं। स्कॉर्पीन सौदे में सामने आए दस्तावेजों में साफ है कि वह खुद को कांग्रेस और सरकार का प्रतिनिधि बता 4% दलाली मांग रहा था। उसके रसूख की वजह से अगस्ता वेस्टलैंड को हेलिकॉप्टर सौदे में मदद चाहिए हो, जर्मन कंपनी आरएडी को ब्लैक लिस्ट से नाम हटवाना हो या फिर इस्राइली टेलिकॉम कंपनी ईसीआइ को ऐंटि डंपिंग शुल्क वापस करवाना हो, ऐसे सभी गैर-कानूनी कामों के लिए ये कंपनियां अभिषेक वर्मा से ही संपर्क करती हैं।'


जब टीम अन्ना से पूछा गया कि अगर आपको इन दस्तावेजों के सही होने का इतना ही भरोसा है तो आप इस पर कोर्ट क्यों नहीं जाते, तो टीम अन्ना के अहम सदस्य प्रशांत भूषण ने कहा,'अगर इन दस्तावेजों के सार्वजनिक करने के बाद भी संबंधित सरकारी एजेंसियां कोई कदम नहीं उठातीं तो हम कोर्ट जाएंगे।' उन्होंने कहा कि मैंने अपने स्तर पर मामले की सत्यता की पड़ताल की है, लेकिन कुछ कागजों की सत्यता जांच एजेंसियां ही परख सकती हैं।
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