मुंह खोला तो वो भी ऎसा खोला कि गरीबों का खून खौल जाये । जी मनमोहन जी अब तो पानी भी बेचो मंहगे दामों पर , मार डालों उन गरीबों को जो कई बार सिर्फ पानी पीकर ही दिन गुजार लेते हैं । कमा लो पानी बेच कर पैसा और जमा कर दो विदेशी बैंको में , बाद में ले आना ये पैसा और गरीबों की लाशों पर बैठ कर उसी पैसों से मजा मौज करना । अरे सब तो लूट लिया गरीबों का अब पानी तो छोड दो । इसके बाद कहोगे कि हवा मुफ्त है इसलिये आदमी ज्यादा सांसे लेता है, हवा पर भी लगा देना टैक्स और रोक देना गरीबों की सांसे । सुर्य की रोशनी भी ज्यादा ले लेते हैं लोग तो लगा देना " कर" उस पर भी , न निकलेंगें लोग घर से और तोड़ देंगें दम घरों के अंदर । फिर जी लेना तुम नेता और बडे लोग गरीबों के शमशान पर आलीशान बंगले बना कर ।