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मिलना तो दूर कोई ठाकरे को देख तक नहीं सकता


बाल ठाकरे भारत के एकमात्र ऐसे व्यक्ति हैं जिन्हें सर्वोच्च न्यायालय ने चुनाव लड़ने और वोट डालने से रोका. उनके आह्वान पर सकड़ों पर दंगा फ़साद हुआ. अपनी गिरफ्तारी पर उन्होंने देश में गृहयुद्ध तक करवाने की चेतावनी दे दी. विकास से ज्यादा हिंसा की बातें करते रहे. लेकिन उनमें एक खासियत भी थी जो उन्हें बाकी सबसे अलग करती थी. उनके निवास मातोश्री पर जो भी आया, वो बाल ठाकरे से मिलकर ही लौटा, और वो सिर्फ मिलते ही नहीं थे बल्कि पूरी बात भी सुनते थे.

लेकिन बाल ठाकरे की बीमारी की ख़बर ने उनकी इस सबसे बड़ी खासियत को भी खत्म कर दिया है. अब सिर्फ उद्धव ठाकरे, उनकी पत्नी और  बच्चे ही बाल ठाकरे के पास तक जा सकते हैं. ठाकरे के भतीजे राज ठाकरे तक को उनके पास जाने की इजाजत नहीं है. पास जाना तो दूर, देखने तक की इजाज़त नहीं है. अब सवाल है कि ऐसा क्यों?

बाल ठाकरे का हालचाल जानने पहुंची हेमा मालिनी ने बाहर आकर पत्रकारों से कहा- ‘हम बाल ठाकरे को देख नहीं पाए, सिर्फ उद्धव से बात हुई कि वो स्वस्थ हैं.’

उद्धव और शिवसेना के नेता लगातार इस बात पर जोर दे रहे हैं कि बाल ठाकरे स्वस्थ हैं. लेकिन यहां सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि बाल ठाकरे के डॉक्टर उनका मेडिकल बुलेटिन क्यों नहीं जारी कर रहे हैं. क्या कारण है कि उनके डॉक्टरों ने अभी तक एक भी बयान उनके स्वास्थ्य के बारे में नहीं दिया है.
डॉक्टरों का खामोश रहना और किसी को भी बाल ठाकरे के दर्शन न करने देना उस ख़बर को बल देता है जिसमें कहा गया था कि ठाकरे का देहांत या तो दिवाली का रात या फिर गुरुवार सुबह को ही हो गया था. अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि ठाकरे की मौत को राज क्यों रखा जा रहा है और अगर वो जिंदा हैं तो उन्हें बेहतर मेडिकल सेवाएं देने की कोशिश क्यों नहीं की जा रही है?

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