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भ्रष्टाचार के खिलाफ भारत समर्थक

कुछ तो शर्म करो .......


मर्यादा के रखवाले मनीष तिवारी को सीएजी से सवाल करते हुए सुना कि" कहाँ गया १.७६ लाख का नुक्सान/घोटाला"

तो मनीष तिवारी जी... आप कभी बिग बाजार के सबसे सस्ते ५ दिन में वहाँ गएँ हैं... गए होंगे तो देखा होगा कि जिस आदमी को जरुरत भी नही होती, वो भी वहाँ खरीदारी करने पहुंचा होता है... खासतौर से कोल्ड ड्रिंक कि तो सेल देखिये.... लोग या तो अपने साल बाहर का कोटा ले लेते हैं या बेचने के लिए दुकानदारों कि लाइन लगी होती है... वही हाल स्पेक्ट्रुम में हुआ , जिन लोगो को जरुरत भी नही थी वो भी आगे की सोचते हुए सस्ते/ मुफ्त में मिलने वाले स्पेक्ट्रुम की लाइन में लग गए...कुछ ने आगे बेच दिया और कुछ ने भविष्य के लिए बचा कर रख लिया.... ठीक कुछ ऐसा ही हाल कोयले में हुआ है, जिन कंपनी को कोयला खदान आवंटित हुईं किसी ने भी कोयला निकलना शुरू नही किया......

दूसरी बात जब २जी का आवंटन हुआ था तो ३जी नही था, तब अगर नीलामी होती तो कंपनियां अपनी जरुरत के हिसाब से पैसे देकर भी लेती.... पर आज उनको सरकार कि हालत का पता है और उनके पास ३ जी का स्पेक्ट्रुम भी पड़ा हुआ है और आगे जमाना ३ जी का ही होगा , तो वो सिर्फ अपनी जरुरत के हिसाब से ही स्पेक्ट्रुम खरीद रही हैं

और कोंई बड़ी बात नही है जिस तरह कॉर्पोरेट घराने मंत्रिमंडल का गठन करवाते हैं तो सरकार और उन्होंने मिलकर इस २ जी कि नीलामी को फेल करने का गठबंधन कर रखा हो... क्युकी आज ही कहबर आई है कि सरकार रिसर्व प्राइस को कम करने कि सोच रही है.... मेरा सरकार को सुझाव है कि कुछ इन्तजार करो, जब उनको जरुरत होगी तो पैसे देकर लेने आयेंगे और अगर २-३ आये तो लड़ कर ज्यादा पैसे ही देकर जायेंगे

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