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भ्रष्टाचार के खिलाफ भारत समर्थक

करवाचौथ पर हास्य व्यंग्य कविता - आज की करवाचौथ


चाँद भी वही है 
पति भी वही 
पर बदला है नारी ने रूप 
पहले वो करती थी चाँद की पूजा 
कि आयु पति  की  हो लम्बी
अब चाहती सामान की लिस्ट हो लम्बी 
सहेलियों में मची आज होड़ है 
ज्यादा धन खर्च करने की लगी दौड़ है 
कई दिन पहले शुरू हो जाती है तैयारी
बहु घुमे बाजारों में घर संभाले सासु बेचारी 
पति भी कर्ज से पिस रहा है 
पत्नी को खुश रखने के चक्कर में

बर्तन घिस रहा है 
मंहगाई के साथ -साथ बढ़ी है खरीददारी 
कपड़ों और गहनों कि लिस्ट है भारी
तुम्हारी लम्बी आयु के लिए व्रत रखूंगी 
फिर क्यों मै काम करुँगी 
आज की नारी जैसे एहसान कर रही है 
भूखे रह कर पति को  परेशान कर रही है 
क्या जाने बाबा रामदेव क्या जाने अन्ना हजारे
पति किस हाल में है बेचारे 
पहले खूब होती थी दो नम्बर की कमाई
खुश रहती थी घर में लुगाई 
भ्रष्टाचार मिटाने के आन्दोलन में 
पति ने भी थी मोमबत्ती जलाई 
पर उसे क्या पता था 
कि मुसीबत उसी पर है आई 
काश बाबा और अन्ना के घर भी होती इक इक नार
प्रयास न करते कभी मिटाने का भ्रष्टाचार 
पत्नी कि करवाचौथ 
पति कि बन गई है संकट चौथ  
हाय कैसे बदल गया नारी का व्यवहार
क्या ये नहीं है इम्मोशनल अत्याचार 
पहले भी होती थी चाँद कि पूजा 
रखे जाते थे व्रत 
पर झूठे आडम्बर बढ़ा कर 
नारियों ने कर दी है हद 
'सविता'का है यह कहना 
सादगी और शालीनता ही है नारी का गहना 

Savita Kaushal
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