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भ्रष्टाचार के खिलाफ भारत समर्थक

नई पहल करेंगे अन्ना

लखनऊ।भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान छेड़ने वाले अन्ना हजारे अब जमीन पर पर चल रहे जन आंदोलनों की मदद से बदलाव के लिए नई पहल करेंगे  । जल जंगल और जमीन को केंद्र में रखते हुए रचना और संघर्ष के जरिए यह नई पहल होगी।इस पहल में जेपी आंदोलन के पुराने कार्यकर्ताओं साथ देश के विभिन्न हिस्सों में चल रहे आंदोलनों के लोगों को जोड़ा जाएगा ।जोड़ा क्या जाएगा जो लोग टीम अन्ना के चलते अलग अलग वजहों से छिटक गए थे वे फिर साथ आ सकते है। दरअसल अब दो तथ्य खुलकर सामने आ गए है ,एक धडा जो राजनैतिक दल के जरिए बदलाव की उम्मीद में है वह अलग रास्ता पकड़ चुका है।दूसरा बाबा रामदेव से बड़े बदलाव की उम्मीद लगाकर जो जन संगठनी के जो लोग उनसे जुड़े उनका मोहभंग हो रहा है । यही वजह है अन्ना हजारे से फिर इन सबको उम्मीद नजर आ रही है।अन्ना हजारे की अपनी कोई निजी महत्त्वकांक्षा नहीं है न ही उनके  उग्र हिंदुत्व की धारा से जुड़ने की कोई आशंका है  । न ही उनका कोई बड़ा धंधा या कारोबार है ।अति राजनैतिक महत्त्वकांक्षा ,हिंदुत्व और कारोबार धंधे के चलते ही अन्ना का मूल आंदोलन आज तीन दिशाओं में बंट चुका है जिसके सारे प्रतीक सभी जानते है । यही वजह है अन्ना हजारे अब ऊन लोगों का साथ ले रहे है जो कई दशक से बदलाव के लिए समर्पित है  । चाहे पीवी राजगोपाल की एकता परिषद हो या राष्ट्रीय स्तर पर विस्थापन का सवाल   उठाने वाली मेधा पाटकर हो जल विरादरी के राजेंद्र  सिंह और संघर्ष वाहिनी मंच के राकेश रफीक , राजीव हेम केशव से लेकर राम  धीरज आदि इसके उदाहरण है  ।

संघर्ष वाहिनी मंच के अध्यक्ष राजीव हेम केशव ने कहा -अन्ना अब चाहते है कि जनता की ताकत  राजनैतिक दलों से ऊपर ऊपर हो । पिछली बार जब हमने देश में एक करोड़ नौजवानों का संघठन तैयार करने की चर्चा की तो उनका जवाब था देश में पांच करोड़ नौजवानों का संगठन बनाना होगा बदलाव के लिए । इसलिए अब उम्मीद है कि एक बड़ी पहल होगी । जल्द ही अन्ना इसकी रूपरेखा खुद सामने रख देंगे । वे सेवाग्राम में भी एक बैठक कर गाँधीवादी नेताओ से बातचीत करेंगे  । 

गौरतलब है कि हाल ही में अन्ना हजारे ने जन लोकपाल के अलावा जिस दूसरे मुद्दे को लेकर दिल्ली की सड़क पर उतरे वह भू अधिग्रहण के खिलाफ मध्य प्रदेश में चल रहे किसान आंदोलन के सिलसिले  में जेल में ड़ाल दी गई मेधा पाटकर की रिहाई का सवाल था ।किसान मंच के राष्ट्रीय  अध्यक्ष विनोद सिंह के मुताबिक इस मौके पर अन्ना हजारे ने साफ़ किया कि जल जंगल औरजमीन की लड़ाई बहुत बड़ी लड़ाई है  । कारपोरेट घराने न सिर्फ किसानो की जमीन हड़प रहे है बल्कि पानी भी ले रहे है। महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश इसका बड़ा उदाहरण है । अगर पानी नहीं बचा तो क्या बचेगा ,यह सवाल खुद अन्ना हजारे ने उठाया  । यह भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के बाद अन्ना हजारे की सोच में आया बड़ा बदलाव भी है  ।

सर्व सेवा संघ के राम धीरज ने कहा -अन्ना हजारे अब जमीनी सवालों को लेकर ठोस पहल करना चाहते है  । जिसमे गाँव के समाज को बदलने से लेकर जल जंगल जमीन का सवाल शामिल है । साथ ही वे  प्रशिक्षण के जरिए जुझारू और समर्पित कार्यकर्ताओं को तैयार करने के पक्ष में है । दरअसल बदलाव भी ऐसे ही मुद्दों से संभव है  । एक मजबूत सांगठनिक ढांचा तैयार कर ही यह पहल हो सकती है जिसके लिए समाजवादी ,पर्यावरण आंदोलन से लेकर विस्थापन  और किसानो का सवाल  उठाने  वालों   को साथ आना पड़ेगा ।


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