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देश को 3.8 लाख करोड़ रुपये का घाटा



नई दिल्ली। कोयला, पावर और सिविल एविएशन पर कैग की रिपोर्ट आने के बाद यह साफ हो गया है कि इससे देश के खजाने को 3.8 लाख करोड़ रुपये का  घाटा हुआ है। कैग की रिपोर्ट के मुताबिक सरकार ने प्राइवेट कंपनियों को कौड़ियों के भाव कोयला खानों का आवंटन कर दिया, जिससे सरकारी खजाने को 1 .86 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। इस आवंटन से 25 कंपनियों को फायदा पहुंचेगा। इसके अलावा इंदिरा गांधी इंटरनैशनल एयरपोर्ट को डिवेलप करने वाली कंपनी डायल को सालाना 100 रुपये एकड़ के हिसाब से पट्टे पर एयरपोर्ट की जो जमीन 58 साल के लिए दी गई है, उससे यह कंपनी 1,63,557 करोड़ रुपये की कमाई करेगी। पावर सेक्टर में 29 हजार करोड़ के नुकसान का आकलन किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, सासन मेगा पावर प्लांट के लिए जो कोयला ब्लॉक रिलायंस पावर को आवंटित किए गए थे, उसके सरप्लस कोयले को दूसरे प्रोजेक्ट में इस्तेमाल करने की इजाजत सरकार ने दे दी। इस तरह कुल मिलाकर देश के खजाने को करीब 3.8 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।

कोल ब्लॉक आवंटन से 1.86 लाख करोड़ का घाटा 
सीएजी (कंट्रोलर ऐंड ऑडिटर जनरल) ने कहा है कि कोयला ब्लॉकों के आवंटन में बोली न लगवाने से सरकारी खजाने को करीब 1.86 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। सीएजी की शुक्रवार को संसद में पेश रिपोर्ट के मुताबिक, कोयला ब्लॉकों को बोली की जगह नॉमिनेशन के आधार पर आवंटित किया गया। बोली की नीति लागू करने में देरी से प्राइवेट कंपनियों को फायदा हुआ। फायदा पाने वाली जिन 25 प्राइवेट कंपनियों के नाम गिनाए गए हैं, जिनमें एस्सार पावर, हिन्डाल्को इंडस्ट्रीज, टाटा स्टील, टाटा पावर और जिंदल स्टील ऐंड पावर के नाम हैं।

ऑडिट से पता चला है कि 57 कोयला ब्लॉकों के प्राइवेट अलॉटियों को 1.86 लाख करोड़ रुपये का फायदा हुआ है। यह अनुमान कोल इंडिया की वर्ष 2010-11 के दौरान कोयला उत्पादन की औसत लागत और खुली खदान से कोयला बिक्री के औसत मूल्य के आधार पर लगाया है। सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि साल 2004 में ही तय किया गया था कि कोयला ब्लॉक आवंटन में बोली लगेगी, लेकिन सरकार अभी तक इसकी प्रक्रिया नहीं तय कर पाई है। गौरतलब है कि 1993 तक देश में कोयला ब्लॉकों के आवंटन पर विशेष नीति नहीं थी। 1993 के बाद प्राइवेट लोगों को ब्लॉक सीधे आवंटित करने की शुरुआत की गई। 2004 से 2011 तक 194 कोयला ब्लॉक आवंटित किए जा चुके हैं।

 एयरपोर्ट की जमीन में भी दी गई रियायत
सीएजी की रिपोर्ट के मुताबिक, इंदिरा गांधी इंटरनैशनल एयरपोर्ट को डिवेलप करने वाली कंपनी डायल को सालाना 100 रुपये एकड़ के हिसाब से पट्टे पर एयरपोर्ट की जो जमीन 58 साल के लिए दी गई है, उससे यह कंपनी 1,63,557 करोड़ रुपये की कमाई करेगी।

संसद में शुक्रवार को पेश हुई सीएजी की रिपोर्ट में कहा गया है कि नागर विमानन मंत्रालय के एक जॉइंट सेक्रेटरी ने डायल को जो पत्र लिखा था, उसमें इस जमीन की कीमत 681.63 करोड़ रुपये प्रति एकड़ बताई गई थी। नागर विमानन मंत्रालय ने सीएजी की रिपोर्ट में दिए गए आंकड़ों को सिरे से खारिज करते हुए कहा है कि जिस कमर्शल जमीन के फायदे का अनुमान लगाया गया है, वह भ्रामक है। सीएजी ने काल्पनिक मूल्य को जोड़ दिया है जबकि असलियत में यह राशि 13,795 करोड़ रुपये है। सीएजी ने यह भी कहा है कि पैसेंजरों की जेब से लगभग साढ़े तीन हजार करोड़ रुपये निकालकर इस कंपनी की जेब में डालने का भी इंतजाम किया गया। दिल्ली एयरपोर्ट से यात्रा करने वाले पैसिंजरों पर डिवेलपमेंट चार्ज लगाने को सीएजी ने गलत बताया है।

पावर सेक्टर में 29 हजार करोड़ गए
सीएजी ने पावर सेक्टर में 29 हजार करोड़ के नुकसान पर भी अपनी रिपोर्ट पेश की है। रिपोर्ट के अनुसार सासन पावर प्लांट के लिए जो कोयला ब्लॉक रिलायंस पावर को आवंटित किए गए थे, उसके सरप्लस कोयले को दूसरे प्रोजेक्ट में इस्तेमाल करने की इजाजत सरकार ने दे दी। रिपोर्ट में कहा गया है कि सबसे कम शुल्क वाली बोली के आधार पर कंपनी को ठेका देने के बाद ऐसी अनुमति से पूरी बोली प्रक्रिया गड़बड़ हुई है। हालांकि, रिलायंस पावर ने सीएजी के आकलन को गलत बताया है।


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