वर्ष 2006 से 09 के बीच कोयले की खानों के गलत आवंटन के मामले में प्रशांत भूषण और अरविंद केजरीवाल ने केंद्र सरकार के साथ ही सभी विपक्षी पार्टियों को घेरा। दोनों का कहना था कि वे पहले ही कहते रहे हैं कि सरकार के 15 मंत्रियों पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं। 1.86 लाख करोड़ रुपये के कोयला घोटाले में सभी दलों को फायदा पहुंचा है।
कोयला सचिव के खानों की नीलामी करने की संस्तुति के बाद भी इस पर गौर नहीं किया गया। रामदेव के अनशन के बाद उनके आश्रम पर छापे के सवाल पर केजरीवाल का कहना था कि उनके साथियों की भी जांच की जा रही है। दिल्ली पुलिस ने किरन बेदी के खिलाफ जांच की और कुछ नहीं मिलने पर अब क्लोजर रिपोर्ट पेश करने जा रही है। मनीष सिशौदिया के एनजीओ की जांच जारी है।
प्रशांत का कहना था कि वे जांच से नहीं डरते लेकिन आरोपी मंत्रियों की जांच के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। कोयला मंत्री के इस बयान पर कि सरकारी खजाने को कोई नुकसान नहीं हुआ है, इस पर प्रशांत ने कहा, जो फायदा निजी कंपनियों को दिया गया वह सरकार को हो सकता था। इसलिए यह नुकसान सरकारी खजाने का ही है।