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सोनिया, आडवाणी, मुलायम, लालू आदी 46 सांसदों ने एक साल में संसद में नहीं पूछा एक भी सवाल


देश की राजनीति में सक्रिय रहने वाले अनेक नामचीन लोकसभा सदस्य संसद में प्रश्न पूछने के मामले में ‘शून्य’ हैं.

इनमें कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, भाजपा के लालकृष्ण आडवाणी, सपा के मुलायम सिंह यादव, राजद नेता लालू प्रसाद और जदयू अध्यक्ष शरद यादव जैसे बड़े दिग्गज शामिल हैं. 

पन्द्रहवीं लोकसभा के तीसरे वर्ष (2011-2012) में संसद में कामकाज को लेकर जारी एक रिपोर्ट के अनुसार कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी, भाजपा नेता जसवंत सिंह, जेडीएस नेता एचडी देवगौड़ा, भाजपा के शत्रुघ्न सिंहा समेत 65 यानि लगभग 14 प्रतिशत सांसदों ने इस एक साल में प्रश्नकाल के दौरान एक भी सवाल नहीं पूछा. 

संगठन ‘मास फॉर अवेयरनेस’ द्वारा संचालित ‘वोट फॉर इंडिया’ अभियान की ओर से जारी रिपोर्ट में सांसदों के कामकाज का विस्तार से विश्लेषण कर यह दावा किया गया है.  

‘रिप्रजेंटेटिव ऐट वर्क’ शीर्षक से जारी रिपोर्ट के अनुसार लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज के अलावा कांग्रेस के राज बब्बर और मोहम्मद अजहरूद्दीन समेत दस सांसदों ने 2011-12 के दौरान निचले सदन में प्रश्नकाल में महज एक-एक सवाल पूछे. 

इस एक वर्ष की अवधि में सर्वाधिक 272 प्रश्न महाराष्ट्र से शिवसेना के सदस्य शिवाजी ए पाटिल ने पूछे. गौर करने वाली बात यह भी है अधिक से अधिक प्रश्न पूछने में कुछ युवा सांसद भी आगे रहे. सपा के धम्रेन्द्र यादव और नीरज शेखर तथा कांग्रेस के सबसे युवा सांसद हमीदुल्ला सईद और श्रुति चौधरी सहित कुछ सदस्यों ने सरकार के मंत्रियों से 200 से अधिक प्रश्न पूछे. 

2011-12 में लोकसभा में हुयी तमाम चर्चाओं में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पार्टी महासचिव राहुल गांधी ने महज एक-एक बार हिस्सा लिया. इस मामले में भाजपा के सांसद अजरुन राम मेघवाल अव्वल रहे. बीकानेर से लोकसभा सदस्य और पूर्व प्रशासनिक अधिकारी मेघवाल ने 147 बार चर्चाओं में भाग लिया. वहीं कांग्रेस के पीएल पुनिया ने 100 और सपा के शैलेन्द्र कुमार ने 98 बार लोकसभा में विभिन्न मुद्दों पर हुयी चर्चाओं में भाग लिया. 

पूर्व रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी, पूर्व भाजपा नेता कल्याण सिंह, भाजपा के नवजोत सिंह सिद्धू और कांग्रेस के अजहरूद्दीन की चर्चाओं में भागीदारी ‘शून्य’ रही. 

रिपोर्ट के मुताबिक 2011-12 में लोकसभा की कार्यवाही कुल 85 दिन चली और इस दौरान 370 घंटे 54 मिनट काम हुआ. हंगामे तथा अन्य वजहों से 175 घंटे 51 मिनट का समय बर्बाद हुआ. 

रिपोर्ट कहती है कि इस दौरान संसद की कार्यवाही में 12 हजार 201 बार व्यवधान उत्पन्न हुआ. संसद में सदस्यों की उपस्थिति 79 प्रतिशत रही. रिपोर्ट के अनुसार 15 वीं लोकसभा के तीसरे साल में सरकार की ओर से 59 विधेयक पेश किये गये जिनमें से 54 पारित हो गये. 

यह संगठन 2009-10 और 2010-11 के लिए भी इस तरह की रिपोर्ट पेश कर चुका है. 

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