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हज़ारों जवाबों से अच्छी है मेरी खामोशी, न जाने कितने सवालों की आबरू रखी:मनमोहन



नई दिल्ली: प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कोयला ब्लॉक आवंटन पर विपक्ष के भारी हंगामे के बीच सोमवार को प्रश्नकाल के बाद लोकसभा और फिर राज्य सभा में अपना बयान दिया। उन्होंने कोयला आवंटन पर कैग की रिपोर्ट को खारिज करते हुए उसे विवादास्पद बताया। उन्होंने कहा कि उन पर लगाए गए आरोप निराधार हैं। उन्होंने कहा कि यह यूपीए-1 सरकार ही थी, जिसने पहली बार जून 2004 में बोली के माध्यम से आवंटन का आइडिया दिया। प्रधानमंत्री को बयान के दौरान दोनों सदनों में भारी शोर-शराबे का सामना करना पड़ा। 

प्रधानमंत्री लोकसभा और राज्य सभा में जिस समय बयान पढ़ रहे थे, विपक्षी दल उनके इस्तीफे की मांग को लेकर हंगामा कर रहे थे। इस वजह से उनका बयान कोई ठीक से सुन भी नहीं पाया। विपक्ष के हंगामे के कारण लोकसभा और राज्य सभा की कार्यवाही दोपहर 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।

प्रधानमंत्री ने लोकसभा में बयान देने के ठीक बाद संसद भवन के बाहर मीडिया में भी बयान दिया। प्रधानमंत्री ने उनकी 'खामोशी' पर तंज कसने वालों को शायराना अंदाज में जवाब देते हुए शेर पढ़ा, 'हज़ारों जवाबों से अच्छी है मेरी खामोशी, न जाने कितने सवालों की आबरू रखी।' इसके बाद उन्होंने एक बार फिर कैग की रिपोर्ट को खारिज किया। उन्होंने विपक्ष से आह्वान किया कि वह संसद में बहस चलने दे, ताकि लोगों को इस मामले पर जवाब मिल सके।


संसद न चलने देने के मुद्दे पर बीजेपी अलग-थलग पड़ती जा रही है। अब तक हर मुद्दे पर बीजेपी के साथ खड़ा रहने वाले अकाली दल ने कहा कि इस मामले में सदन के भीतर चर्चा की जानी चाहिए। गौरतलब है कि बीजेपी ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के इस्तीफे की मांग करते हुए पिछले सप्ताह संसद नहीं चलने दी थी। वैसे, बीजेपी ने अपने इस रुख में अभी भी कोई बदलाव नहीं किया है। बीजेपी के सूत्रों ने बताया कि पार्टी पीएम के इस्तीफे की मांग से पीछे नहीं हटेगी।

पीएम मंगलवार को ईरान के दौरे पर जा रहे हैं इसलिए जाने से पहले वह इस मामले पर अपनी सफाई देना चाहते थे। प्रधानमंत्री 2005-2009 में कोयला ब्लॉक आवंटन के दौरान कोयला मंत्री भी थे और इसीलिए विपक्ष उन्हें निशाना बना रहा है। वह पिछले हफ्ते से बयान देने की प्रतीक्षा कर रहे हैं, लेकिन विपक्ष, खासकर बीजेपी द्वारा संसद में गतिरोध पैदा किए जाने के कारण वह ऐसा नहीं कर पाए। सूत्रों ने बताया कि वह यह कहकर कैग रिपोर्ट में लगाए गए आरोपों का खंडन कर सकते हैं कि 1.86 लाख करोड़ के नुकसान के 'भ्रामक' आकलन में 'खामियां' हैं।

दूसरी तरफ, संसद की कार्यवाही न चलने देने को लेकर एनडीए में फूट पड़ गई है। अकाली दल के सुखदेव सिंह ढींढसा ने कहा है कि सदन में इस पूरे मसले पर चर्चा की जानी चाहिए। ढींढसा के बयान के बाद सुबह 10 बजे होने जा रही एनडीए की बैठक टल गई, लेकिन लालकृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में बीजेपी के नेताओं की बैठक हुई। इसमें राजनाथ सिंह, मुरली मनोहर जोशी, अरुण जेटली, सुषमा स्वराज मौजूद रहे। बीजेपी के लिए राहत की बात यह है कि प्रधानमंत्री से इस्तीफे की मांग पर शिवसेना उसके साथ है। अकाली दल की राय सार्वजनिक रूप से आने के बाद भी बीजेपी ने साफ कर दिया है कि उसे प्रधानमंत्री के इस्तीफे से कम कुछ भी मंजूर नहीं है।

इससे पहले जेडीयू अध्यक्ष और एनडीए के संयोजक शरद यादव भी निजी तौर पर खुद को चर्चा का पक्षधर बना चुके हैं, लेकिन मीडिया में मतभेद की बात सामने आने के बाद उन्होंने सफाई देते हुए कहा था कि संसद की कार्यवाही के बहिष्कार को लेकर एनडीए एकजुट है।


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