नई दिल्ली। मॉनसून सेशन के दूसरे हफ्ते संसद में सरकार मुश्किल में फंसती दिख रही है। कैग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि सरकार ने प्राइवेट कंपनियों को कौड़ियों के भाव कोयला खानों का आवंटन कर दिया, जिससे सरकारी खजाने को 1 .86 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। राज्यसभा में कोल ब्लॉक आवंटन के अलावा पावर और सिविल एविएशन पर भी कैग की रिपोर्ट पेश की गई। पावर और एविएशन के मामले में भी कैग ने सरकार के पक्षपातपूर्ण रवैये पर सवाल खड़े किए हैं।
सरकार की मुश्किलें एयर इंडिया के पूर्व सीएमडी सुनील अरोड़ा की चिट्ठी ने भी बढ़ा दी है। इसमें आरोप लगाया है कि पूर्व नागरिक उड्डयन मंत्री प्रफुल्ल पटेल ने जानबूझकर इंडियन एयरलाइंस को दिवालिया बनाया और अपने फैसलों से निजी एयरलाइन्स को फायदा पहुंचाआ। दोनों मामले पर विपक्ष सरकार को घेरने की तैयारी कर रहा है। कोल ब्लॉक आवंटन के माले में तो विपक्ष ने सीधे प्रधानमंत्री पर हमला बोल दिया है, क्योंकि उस समय कोयला मंत्रालय का प्रभार उनके पास था। दूसरी तरफ पीएमओ के मंत्री नारायण सामी ने कैग पर ही पलटवार कर दिया है। उन्होंने कहा कि सरकारी ऑडिटर अपने दायरे से बाहर जाकर काम कर रहा है।
कैग ने कहा है कि उसने यह अनुमान कोल इंडिया की वर्ष 2010-11 के दौरान कोयला उत्पादन की औसत लागत और खुली खदान से कोयला बिक्री के औसत मूल्य के आधार पर लगाया है। रिपोर्ट के मुताबिक, 'यदि कोयला ब्लॉक आवंटन के लिए प्रतिस्पर्धी बोलियां मंगाने के कई साल पहले लिए गए फैसले पर अमल कर लिया जाता तो कंपनियों को होने वाले इस अनुमानित वित्तीय लाभ का कुछ हिस्सा सरकारी खजाने में पहुंच सकता था।'
एविएशन पर कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली के इंदिरा गांधी एयरपोर्ट पर यात्रियों से डिवेलपमंट फीस वसूलने की इजाजत देकर जीएमआर के नेतृत्व वाली डायल को 3415.35 करोड़ का फायदा पहुंचाया गया। रिपोर्ट के मुताबिक, ऐसा करके नीलामी की शर्तों का उल्लंघन किया गया है। सरकारी ऑडिटर की रिपोर्ट में कहा गया है कि डायल को 100 रुपये सालाना लीज पर जमीन उपलब्ध कराई गई और इससे वह 60 साल के दौरान 1 लाख 63 हजार 557 करोड़ रुपये कमा सकती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि नियमों को धता बताकर सिविल एविएशन मंत्रालय ने डायल को डिवेलपमंट फीस लगाने की मंजूरी दी। पावर पर भी कैग ने सरकार को लपेटा है। रिपोर्ट में अनिल अंबानी के नियंत्रण वाली रिलायंस पावर लिमिटेड (आरपीएल) को आवंटित खदानों से कोयला सासन अल्ट्रा मेगा पावर प्लांट (यूएमपीपी) डाइवर्ट किए जाने का मसला उठाया गया है।
इसके अलावा यह भी आरोप लगा है कि 'महाराजा' से भिखारी बन चुकी इंडियन एयरलाइंस की इस हालत के लिए पूर्व नागरिक उड्डयन मंत्री प्रफुल्ल पटेल को जिम्मेदार हैं। एआई के पूर्व प्रमुख संजीव अरोड़ा ने वर्ष 2005 में तत्कालीन कैबिनेट सचिव बी.के. चतुर्वेदी को चिट्ठी लिखकर प्रफुल्ल पटेल और उनके ओएसडी के. एन. चौबी की शिकायत की थी। उन्होंने पटेल पर आरोप लगाया था कि एआई को नुकसान पहुंचाने वाले कई फैसले लेने के लिए उन्हें और एआई बोर्ड को मजबूर किया गया।
अरोड़ा ने आरोप लगाया है कि प्रफुल्ल पटेल ने जरूरत से ज्यादा विमान खरीदने को मजबूर किया और इंडियन एयरलाइंस को फायदा मिलने वाले रूट उड़ान भरने से रोका गया। इस पूरी प्रक्रिया में प्राइवेट एयरलाइंस को फायदा पहुंचाया गया। चिट्ठी सामने आने के बाद अब लोकसभा में विपक्ष के दो सांसद प्रबोध पांडा (सीपीआई) और निशिकांत दुबे ने सीवीसी से संजीव अरोड़ा के आरोपों की जांच कराने की मांग की है।