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इन 5 कारणों से बढ़ सकती है बाबा रामदेव की मुश्किल

योगगुरू बाबा रामदेव शुक्रवार को आचार्य बालकृष्‍ण की जेल से रिहाई का जश्‍न मना सकते हैं, लेकिन आगे चल कर उनकी मुश्किल बढ़ सकती है। लगता है कि उन पर शिकंजा कसने की सरकार ने पूरी तैयारी कर ली है। गुरुवार को बाबा के सबसे करीबी सहयोगी आचार्य बालकृष्ण को बेल मिलने के एक घंटे बाद ही खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम का दादूबाग कनखल स्थित दिव्य योग मंदिर में छापा मारना इसी का संकेत माना जा रहा है। बाबा भी इसे 'कांग्रेस की प्रतिक्रिया' के रूप में ही देख रहे हैं। 

बाबा रामदेव का औद्योगिक साम्राज्य ज्‍यादातर हरिद्वार व उसके आसपास ही स्थित है। इसमें आयुर्वेदिक दवाओं से लेकर कॉस्मेटिक्स और फूड प्रोडक्ट्स तक तैयार होते हैं। स्वास्थ्य, आयुष, खाद्य, खाद्य सुरक्षा जैसे विभाग राज्‍य सरकार के अंतर्गबाबा ने खुले आम कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। उत्‍तराखंड में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले बाबा रामदेव ने अपनी यात्र के तहत राज्य के कई हिस्सों का दौरा किया था। उस दौरान भी उनके निशाने पर परोक्ष तौर पर कांग्रेस ही थी। नौ अगस्‍त के आंदोलन में तो बाबा ने खुल कर ऐलान किया कि अगले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को हराए। अब केंद्र के साथ-साथ उत्‍तराखंड में भी कांग्रेस की ही सरकार है। कुछ दिन पहले ही राज्य के संवैधानिक प्रमुख राज्यपाल डॉ. अजीज कुरैशी ने भी बाबा रामदेव को व्यापारी कहकर कठघरे में खड़ा किया था। उत्तराखंड कांग्रेस में गुटबाजी और तमाम खेमों में कांग्रेस आलाकमान के गुड बुक में आने की होड़ भी बाबा रामदेव के खिलाफ जा सकती है। मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा बाबा रामदेव पर शिकंजा कसने को कांग्रेस आलाकमान की गुड बुक में आने का आसान रास्‍ता मान कर कार्रवाई कर सकते हैं। त आते हैं और ये विभाग बाबा की कंपनियों की कभी भी जांच करने के लिए स्वतंत्र हैं। बाबा के ट्रस्‍ट के नाम काफी जमीनें भी हैं। लिहाजा राजस्व विभाग भी शिकंजा कस सकता है और हजारों मजदूरों की सेवाएं लेने के कारण श्रम विभाग भी किसी न किसी रूप में हस्तक्षेप या जांच कर सकता है। ये दोनों विभाग भी राज्‍य सरकार के तहत ही आते हैं। 

बाबा रामदेव के सबसे करीबी सहयोगी आचार्य बालकृष्ण को हाईकोर्ट से भले ही बेल मिल गई हो, लेकिन फर्जीवाड़े का मुकदमा अभी उन पर चल ही रहा है। दस-दस लाख रुपये के दो मुचलकों के आधार पर बेल देते हुए कोर्ट ने बालकृष्ण को निचली अदालतों की तारीखों पर व्यक्तिगत रुप से उपस्थित होने के लिए भी कहा है। सीबीआई का कहना है कि उसके पास आचार्य के खिलाफ ठोस सुबूत हैं। अगर सीबीआई ने साबित कर दिया कि आचार्य ने फर्जीवाड़ा कर भारतीय पासपोर्ट हासिल किया, तो बाबा के लिए यह बड़ा झटका साबित होगा।

बाबा पर दिल्ली पुलिस का शिकंजा भी कस सकता है। दिल्‍ली पुलिस के अधिकारियों का कहना है कि रामदेव ने नौ अगस्‍त से जो आंदोलन किया, उसके लिए इजाजत लेने से पहले पुलिस को दिए गए अंडरटेकिंग का उल्‍लंघन किया। पुलिस के मुताबिक बीते सोमवार को सड़कों पर उतर कर किया गया रामदेव का आंदोलन गैरकानूनी था। अंडरटेकिंग के मुताबिक बाबा को अपना आंदोलन रामलीला मैदान तक ही सीमित रखना था। लेकिन उन्‍होंने सड़क पर उतर कर आम लोगों के लिए मुश्किल पेश की और कानून-व्‍यवस्था की समस्‍या भी खड़ी की। इस आधार पर दिल्‍ली पुलिस बाबा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की संभावनाओं पर विचार कर रही है। इसके लिए कानूनी सलाह ली जा रही है।


बाबा रामदेव टैक्‍स के पचड़े में भी फंस सकते हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सेंट्रल एक्साइज इंटेलिजेंस की एक खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक बाबा रामदेव के दिव्य योग मंदिर ट्रस्ट ने करोड़ों रुपए का सर्विस टैक्स नहीं चुकाया है। सेंट्रल एक्साइज इंटेलिजेंस देश में निजी कंपनियों के उत्पादों पर टैक्स चोरी की जांच करता है। इसकी रिपोर्ट के मुताबिक 30 दिसंबर 2011 को आयकर विभाग ने दिव्य योग मंदिर ट्रस्ट को चैरिटेबल का दर्जा दिए जाने से इनकार कर दिया है। इसलिए इस मामले की जांच क्लब व मेंबरशिप सर्विस के तहत लगने वाले सर्विस टैक्स की वसूली की सिफारिश की गई है। जानकारी के मुताबिक बाबा रामदेव के संगठन मेसर्स दिव्य योग मंदिर ट्रस्ट ने साल 2007 से साल 2011 के बीच कुल 37 करोड़ 98 लाख रुपए जमा किए थे। सेंट्रल एक्साइज इंटेलिजेंस की रिपोर्ट के मुताबिक बाबा रामदेव का दिव्य योग मंदिर ट्रस्ट उस रकम पर सर्विस टैक्स नहीं जमा कर रहा था जो नए सदस्यों से मेंबरशिप फीस के तौर पर ली जाती थी। ट्रस्ट ने 19 लाख 78 हजार रुपए का जो सर्विस टैक्स दिया है वो प्रॉपर्टी से मिले किराए के ऐवज में दिया गया। ये भी इस मामले की जांच शुरू होने के बाद ही हुआ। सेंट्रल एक्साइज इंटेलिजेंस के मुताबिक बाबा रामदेव के दिव्य योग मंदिर ट्रस्ट पर करीब 4 करोड़ रुपए का सर्विस टैक्स बकाया है। इसकी वसूली के साथ ही विभाग ये सवाल भी पूछेगा कि आखिर इतनी बड़ी रकम की टैक्स चोरी क्यों की गई?
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