बहुत से पेजेस से ऐसे पोस्ट्स आ रहे हैं के अन्ना गैंग कूद पड़ा अब राजनीती में, या इनको ऐसा ही करना था तो अब तक इतनी नौटंकी करने की क्या जरुरत थी आदि आदि ..
तो आप लोग इसका जवाब भी ले लो.. लोकपाल बिल पिछले 64 सालों से अटका रखा है बी.जे.पी, कांग्रेस या कहें के सभी पार्टीओं ने, और दो साल अन्ना जी तथा इनकी टीम को हो गए इसको पास करवाने के लिए, पर क्या आजतक क्या हम लोकपाल ले पाए ????
नहीं ले पाए इसका कारण ये है के लोकपाल आते ही केवल कांग्रेस के ही नहीं अपितु हर पार्टी के नेता, मंत्री जेल में होंगे.. ऐसा नहीं है के केवल कांग्रेस के ही नेताओं को डर लगता है लोकपाल से.. हर पार्टी को समान रूप से डर लगता है लोकपाल से.. क्योंकि चोर हर पार्टी में छुपे बैठे हैं..
तो आप कैसे मान सकते हैं के कोई भी पार्टी लोकपाल को पास करवाने में अपना सहयोग दे सकती है ?? वो भी ये जानते हैं यदि आज हमने लोकपाल पास करवा दिया तो कल हम और हमारी ही पार्टी के कई बड़े नेता जेल में घुसे हुए दिखाई देंगे.. तो यदि ये लोकपाल पास नहीं होता है तो ज्यादा से ज्यादा क्या होगा.. आम आदमी का विरोध या इनके खिलाफ देश भर में गुस्सा तेज हो जाएगा, और शायद कांग्रेस सरकार गिर जाएगी.. और बी.जे.पी सत्ता में आ जाएगी..
पर जो अहम मुद्दा था वो अभी भी हल नहीं हुआ लोकपाल का.. बस कांग्रेस गई और बी.जे.पी आ गई सत्ता में.. कुछ नहीं बदला .. फिर हम लोग बी.जे.पी के खिलाफ अनसन करेंगे या देश भर में आन्दोलन करेंगे.. इसमें भी शायद दो तीन साल वैसे ही निकल जाएंगे.. और जब तक बी.जे.पी भी दो तीन साल राज कर चुकी होगी.. और ढंग से खून चूस चुकी होगी जनता का..
फिर यदि आन्दोलन अब की तरह दोबरा तेज होंगे तो क्या होगा बी.जे.पी भी गिर जाएगी और फिर दोबारा कांग्रेस सत्ता में आ जाएगी.. पर ध्यान दो सरकार दोबारा गिर गई पर लोकपाल का जो मुद्दा था 64 साल से अभी तक वहीं का वहीँ है.. जबकि दो बार सरकार गिर चुकी है.. देश में आंदोलनों की वजह से.. और यही सिलसिला चलता रहेगा.. क्योंकि आम आदमी जा जनता किसी भी सरकार को केवल दवाब में लाकर गिरा सकती है, पर अपनी मर्जी का कोई कानून पास नहीं करवा सकती.. यदि वो कानून सरकार के गले में हड्डी के समान हो तों.. तों हम केवल सरकार गिरा सकते हैं पर अपनी इच्छानुसार कोई भी काननों नहीं ला सकते चाहे कुछ भी कर लें..और लोकपाल वहीँ का वहीँ अटका रहेगा..
क्योंकि आप लोग एक बात समझ लीजिए के सभी पार्टिओं का झंडे का रंग चिन्ह् आदि अलग होते हैं.. पर उन् झंडों का डंडा एक ही होता है.. जो हर सरकार अपने राज में जनता पर चलाती है..
और आपने हर पार्टी का गंदा खेल तो देखा ही होगा संसद में जब लोकपाल बिल गया था.. क्या वहाँ बी.जे.पी ने लोकपाल का समर्थन किया था ?? क्या सपा ने किया था ?? क्या जे.डी.यू ने किया था ??? और भी अन्य किसी पार्टी ने लोकपाल का समर्थन नहीं किया था.. क्योंकि उन्हें पता है के ये लोकपाल को पास करवाना अपने गले में एक जहरीले सांप को लटकाने जैसा है..
और दूसरी बात कुछ ये भी कह रहें हैं के, यदि टीम अन्ना के उम्मीदवार सत्ता में आ गए तो.. फिर भी तो इनको कांग्रेस, बी.जे.पी या अन्य पार्टीओं का भी तो समर्थन चाहिए होगा लोकपाल पास करवाने के लिए.. और फिर यदि वे इसका समर्थन नहीं करेंगे तो कैसा पास होगा लोकपाल बिल ???
तो इसका जवाब ये है के हमें आज भी किसी लोकपाल या किसी भी लोकायुक्त की जरुरत नहीं है.. यदि हमारी केन्द्र सरकारें या राज्य सरकारें अपने अफसरों को टाईट कर दें.. तो मजाल है के एक पैसे की हेरा फेरी हो जाए |
पर भष्टाचार तो असली इन्ही अफसरों की नाक के नीचे तथा इनकी इच्छा से होता है.. तो हमें लोकपाल नहीं अपितु अपने कर्मचारियों को कसने की जरुरत है..
आज सारे दिन और शायद आने वाले कई दिनों तक मीडिया वाले अपनी छाती कूटते रहें.. के ये क्या हुआ टीम अन्ना तो राजनीती में कूद पड़ी .. आदि आदि.. और शायद कल के सामचार पत्रों में भी इसको प्रमुखता से छापा जाए ..
पर आप लोग कतई विचलित मत होना उनकी नौटंकी को देखकर.. और आप देख ही सकते हैं .. कम से कम 90% जनता चाहती है के अन्ना जी को हमें विकल्प देना चाहिए ..
हमें फेसबुक पर लोगों तथा कांग्रेसी टट्टुओं का विरोध देखकर इस पोस्ट को लिखने पर मजबूर होना पड़ा.. और आप लोगों के विचारों का भी हम स्वागत करेंगे.. यदि आप को इस इस पोस्ट पर कोई समस्या या किसी बात से आप असहमत हों तों |
और यदि आपसे भी कोई कांग्रेसी इस बात पर बहस करे तों आप इसको यहाँ से कॉपी करके या शेयर करके उससे इस बात का जवाब मांग सकते हैं.. फिर उससे पूछना के अब बता के क्या गलत है यदि .. टीम अन्ना ने अपने चुने हुए लोगों को संसद में भेजने का फैसला लिया है.. शुक्रिया .